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जंतर मंतर में अलग आदिवासी धर्मकोड के लिए धरना प्रदर्शन संपन्‍न

दिल्ली, जंतर मंतर: 2021 की जनगणना में आदिवासियों के द्वारा अलग धर्म के कॉलम की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया गया। जिसमें राष्ट्रीय आदिवासी इंडीजीनस धर्म समन्वय समिति भारत के तत्वधान में भारत वर्ष के तमाम राज्यों व परदेशों से समस्त आदिवासियों ने शिरकत किया और केंद्र सरकार से मांग की गई की 2021 के जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों को सेपरेट कॉलम ट्राईबल और आठवीं अनुसूची में मुंडारी गोंडी हो और कुरुख भाषा को शामिल करने की मांग की गई जिसे लेकर माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री एवं रजिस्टर ऑफ जनरल को ज्ञापन सौंपी गई ।

जय आदिवासी केंद्रीय परिषद रांची झारखंड की ओर से प्रतिनिधित्व कर रहे महिला नेत्री निरंजना हेरेंज टोप्पो एवं प्रदेश प्रवक्ता हलधर चंदन पाहन ने अपने अभिभाषण में कहा कि इस देश के तीसरी सबसे बड़ी आबादी को पहचान से महरुम रखना और उसके लिए कोई नियोजन कोई नीति सुनिश्चित नहीं करना पूर्ण रूप से देश के 15 करोड़ भारतीय नागरिको के साथ अन्याय है।

भारत के सर्वप्रथम 1871 के जनगणना प्रपत्र पर ब्रिटिश गवर्नमेंट ने आदिवासियों को सेपरेट कॉलम कई नामों से इंगित किया था।जिसे 1951 के स्वतंत्र भारत के पहले सेंसेक्स में समाप्त कर दिया जाता है। जबकि भारतीय संविधान में आदिवासियों को शेड्यूल ट्राइब्स का विशेष अधिकार प्राप्त हैं बावजूद इसके आदिवासियों को जनगणना प्रपत्र पर स्थान नहीं देना पूर्ण रूप से असंवैधानिक है। आदिवासीयों का किसी जाति धर्म मजहब से कोई बैर नहीं है और आदिवासी सभी धर्मों का सम्मान करते हैं नतीजा हमें हिंदू-इसाई संज्ञा दी जाती है जबकि आदिवासी प्रकृति वादी रूढ़ीवादी परंपराओं के अनुयायी हैं।

इस धरना प्रदर्शन के मुख्य नेतृत्वकर्ता राष्ट्रीय संयोजक अरविंद उराव एवं सहसंयोजक राजकुमार कुंजाम ने प्रतिनिधित्व कर रहे हैं सभी राज्य के आदिवासियों सहित घोषणा की है कि अगर इस वर्ष जनगणना प्रपत्र पर आदिवासियों को सेपरेट कॉलम को दर्जा नहीं दी जाती है तो पूरे देश में जनगणना का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाएगा।

दिल्ली के जंतर मंतर इस धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में झारखंड, यूपी बिहार बंगाल उड़ीसा मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ असम दिल्ली गुजरात महाराष्ट्र  राजस्थान पंजाब हिमाचल आंध्र प्रदेश अरुणाचल प्रदेश मिजोरम त्रिपुरा मेघालय सहित देश के सभी राज्यों से आदिवासी एवं अन्य संगठनों से भीम आर्मी ने सैकड़ों की संख्या में शामिल होकर इस मांग का समर्थन किया। यह जानकारी निरंजना हेरेंज टोप्पो  एवं हलधर चंदन पाहन ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए दी है।

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