दिनांक 28/09/2024 को सुबह 10.00 बजे से 2.00 बजे तक विश्वविद्यालय कुँड़ुख विभाग, रांची विश्वविद्यालय, रांची के परिसर में ‘कुँड़ुख व्याकरणिक शब्दावली एवं शब्द रचना’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई। इस कार्यशाला में कुँड़ुख शब्द एवं व्याकरण को लेकर गहन चर्चा की गई। बैठक में में यह निर्णय लिया गया कि भविष्य में व्याकरण लेखन कार्य मानकीकरण एवं संशोधन को ध्यान में रखकर पुस्तक प्रकाशन की अपील किया करेंगे। वहीं अद्दी अखड़ा संस्था की ओर से कुँड़ुख विभाग को कुँड़ुख पुस्तकें एवं त्रैमासिक पत्रिकाएं भेंट की गई। प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए विशेष कुँड़ुख व्याकरण न होना की समस्या सामने आई। डॉ नारायण उरांव "सैंदा" ने व्याकरण में संशोधन की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित किया और शब्द रचना पर जोर दिया। कुँड़ुख भखा जतरा और पुस्तक मेला आयोजन कराने की बातें साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सदस्य श्री महादेव टोप्पो ने कही। समापन पुर्व धन्यवाद ज्ञापन विभाग के डॉ बन्दे ख़लख़ो द्वारा किया गया।
कार्यशाला में कुँड़ुख विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नारायण भगत, सहायक प्रोफेसर डॉ बन्दे ख़लख़ो, शोधार्थीगण, बी०ए और एम० ए के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। मुख्य रूप से महाबीर उरांव (कुँड़ुख व्याकरण लेखक), श्री प्रेमचन्द उरांव, श्री मनोज उरांव, लोहरदगा देवान श्री संजीव भगत और अद्दी कुँडुख चाला अखड़ा धुमकुड़िया पड़हा संस्था के अध्यक्ष श्री शरण उरांव, साहित्य अकादमी सदस्य श्री महादेव टोप्पो, पूर्व अध्यक्ष श्री जिता उरांव, संयोजक डॉ नारायण उरांव “सैंदा”, शिक्षक नागराज उरांव, अरविंद उरांव (मंगलो), पंकज उरांव (बेड़ो), रतिया उरांव (बलसोता), भुनेश्वर उरांव (बिशुनपुर), श्री सुका उरांव (सात पड़हा), नीतू साक्षी टोप्पो एवं श्रोतागण इत्यादि उपस्थित होकर सभी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई। सभी ने भविष्य में इसी प्रकार लगातार कार्यक्रम आयोजित कराए जाने की इच्छा जताई ।