कहा जाता है वर्तमान भूमण्डलीकरण के दौर में विकसित भाषा–संस्कृति के सामने विकासशील भाषा–संस्कृति को चौतरफा संघर्ष करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में यदि विकासशील भाषा–संस्कृति को बचाये रखने तथा अगली पीढ़ी तक पंहूचाने के लिए सामयिक व्यवहारिक तकनीक का उपयोग करना चाहिए। उन तकनीक में से आज के दौर में वैसा तकनीक जो हरेक घर में पहूंच चुका है तथा प्रत्येंक छात्र–छात्राओं के बीच पहूंचा हुआ है – वह है मोबाईल। अतएव संघर्षशील भाषा को मोबाईल तक पंहूचना एवं पंहूचाना पड़ेगा।
इसी सोच के साथ यह कुंड़ुख़ मोबाईल एप्प का निर्माण हुआ है। इस मोबाईल एप्पस के निर्माता श्री जॉन एस टोप्पोर एक साफ्टवेयर इंजिनियर हैं। वे कुंड़ुख़ भाषी हैं और अपनी मातृभाषा के विकास में अपना योगदान के लिए यह कार्य बैंगलोर में रहकर किया है। इस एप्प के माध्याम से कुड़ुख़ भाषा एवं लिपि (तोलोंग सिकि) का आरंभिक ज्ञान तथा प्राइमर की मदद से अन्य भाषायी पहलू सीखा जा सकेगा। अबतक KuruxLearn / KuruxPrimer / KuruxGrammer नामक तीन एप्पस बना है। जिसे किसी भी android mobile पर play store से install कर व्य वहार किया जा सकता है।
कुंड़ुख़ मोबाईल एप्पक का लोकार्पण दिनांक 28 दिसम्बभर 2018 को आदिवासी कालेज छात्रावास‚ रांची के पुस्त्कालय भवन में हुआ। इस अवसर पर एप्प8 निर्माता श्री जॉन एस टोप्पोह‚ तोलोंग सिकि (लिपि) के संस्थाeपक डॉ. नारायण उरांव ‘सैन्दाए’‚ तोलोंग सिकि का कम्प्युटर वर्जन अर्थात केलितोलांग फॉन्टउ निर्माता श्री किसलय जी के साथ ‘अद्दी कुंड़ुख़ चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा‚ रांची’ संस्थाए के अध्यक्ष श्री ए एम खलखो, सचिव श्री जिता उरांव तथा डा. नारायण भगत, डा. अलंकार उरांव, श्री विनोद भगत‚ श्री प्रकाश पन्नाा‚ श्री भइया रामन कुजूर‚ श्री मंगरा उरांव आदि कई भाषा प्रेमी उपस्थित थे।
आलेख –
भूनेश्वजर उरांव
सहायक शिक्षक
जतरा टाना भगत विद्यामंदिर‚ बिशुनपुर।