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झारखंड के राज्‍यपाल ने जनजातीय भाषा विभाग के जीर्णोद्धारित भवन का उदघाटन किया, कहा: अब उपेक्षित नहीं रहेगा विभाग

रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के जीर्णोद्धारित भवन का उद्घाटन करते हुए शनिवार को राज्यपाल रमेश बैस ने आश्‍वासन दिया कि अब इस भाषा विभाग में पर्याप्‍त शिक्षकों की बहाली अतिशीघ्र होगी।  बतायें कि दो मंजिले भवन में ऑडिटोरियम के साथ-साथ तमाम मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है। इसका जीर्णोद्धार लगभग तीन करोड़ के रूसा फंड से किया गया है। यहां सभी नौ जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के स्वतंत्र विभाग है। इसे सोहराई पेंटिंग से सजाया गया है। जल्द ही यहां म्यूरल आर्ट भी दिखेगा

राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग आज पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहा है। यह इस राज्य के लिए गौरव की बात है। इस विभाग का विस्तारीकरण आनेवाले समय में और होगा। साथ ही, शिक्षकों की कमी भी जल्द से जल्द दूर की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस विभाग को शीघ्र के लिए भी बेहतर तरीके से विकसित किया जाएगा। कहा कि विद्या एक ऐसी चीज है जिसे जितना भी बांटा जाए, वह उतना ही बढ़ता है। हमारे देश की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था काफी सुदृढ़ थी। जापान, चीन जैसे देशों में गई शिक्षा भारत की ही है। उन्होंने कहा कि संस्कृति का संरक्षण अति आवश्यक है, जिससे कि आनेवाली पीढ़ी जान व समझ सके।

इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय की वीसी प्रो कामिनी कुमार ने कहा कि झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को ग्लोबल पहचान दिलाने की दिशा में रांची विश्वविद्यालय का जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग हमेशा अग्रसर रहा है। यह विभाग पूरी दुनिया में एक अनोखी मिसाल बना था, जहां एक ही छत के नीचे एक प्रदेश को नौ भाषाओं की पढ़ाई की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक विषय का विभाग नहीं है, बल्कि यह झारखंडी भाषा संस्कृति की हृदय स्‍थली है। झारखंड की जानना हो तो इस विभाग से बेहतर सूचना स्‍त्रोत या केंद्र कोई दूसरा नहीं मिल सकता है। उन्होंने कहा कि प्रारंभ से यह विभाग संसाधन से हीन रहा, उपेक्षा का देश झेलता रहा। अब यह विभाग सेंटर आफ एक्सेलेंस की ओर अग्रसर है। यहाँ झारखंड की जनजातीय भाषाओं में संताली, मुंडारी, हो, कुडूख खड़िया व क्षेत्रीय भाषाओं में नागपुरी, खोटा पंचपरगानिया, कुरमाली की पढ़ाई के साथ शोध कार्य भी लगातार हो रहे हैं।

कार्यक्रम में डीएसडब्ल्यू डॉ राजकुमार शर्मा, रजिस्ट्रार डॉ मुकुंद चंद्र मेहता, सीसीडीसी डॉ राजेश कुमार, प्रॉक्टर डॉ टीएन साहू, परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष झा, टीआरएल के समन्वयक डॉ हरि उरांव, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ केसी दुई समेत विभाग के सभी शिक्षकगण, विद्यार्थी और शोधार्थी मौजूद थे। संचालन डॉ उमेश नंद तिवारी ने किया।

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