दिनांक- 02 अक्टूबर 2024, दिन- बुधवार को गुमला जिले के कुँड़ुख भाषा एवं सांस्कृतिक पुनरूत्थान केन्द्र, बम्हनी में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की शुरुआत हुई। प्रथम दिन की सेमिनार की अध्यक्षता कुँड़ुख विभागाध्यक्ष, डॉ नारायण भगत द्वारा किया गया। मंच संचालन कमल उरांव द्वारा किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के पुर्व कुलपति डॉ रविंद्र भगत उपस्थित होकर संबोधित किए। कार्यक्रम के आरंभ में मंच पर कई दिग्गज जनों ने आसन ग्रहण किया और उरांव/कुँड़ुख भाषा की महत्व एवं विकास पर विचार साझा किए। इनमें साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सदस्य श्री महादेव टोप्पो, पुर्व मंत्री श्री देवकुमार धान, शिक्षक नागराज उरांव, इत्यादि उपस्थित थे।
प्रथम दिन की प्रथम सत्र में शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण हुआ। जिसकी अध्यक्षता डॉ तेतरू उरांव एवं मंच संचालन संतोष तिग्गा कर रहे थे । इस अवसर पर उरांव समाज के शुभचिंतकों के साथ कुँड़ुख शिक्षकगण एवं प्रोफेसर मौजूद रहे जिनमें मीना टोप्पो, डॉ सीता कुमारी, डॉ रीना उरांव, भुनेश्वर उरांव आदि शामिल हैं।
विभिन्न विषयों पर शोध पत्र निम्नलिखित शोधार्थी द्वारा प्रस्तुत हुए -
श्री प्रेमचंद उरांव, वर्तमान परिपेक्ष्य में कुँड़ुख भाषा की दशा एवं दिशा;
श्री शिवनंदन उरांव, अक्कुनता बेड़ा नु कुँड़ुख भखा गहि महबा;
डॉ कृति मिंज, भाषा विकास में समाज की भूमिका;
शोधार्थी रीमा तिग्गा, कुँड़ुख भाषा के विकास में साहित्यकारों की भूमिका;
डॉ बैजयंती उरांव, आदिवासी खान पान एवं पोषण;
शोधार्थी शिव शंकर उरांव, कुँड़ुख भाषा के विकास में सरकार की भूमिका;
नीतू साक्षी टोप्पो, धुमकुड़िया में पेल्लो एड़पा और नई शिक्षा नीति 2020;
श्री पंकज कुजुर, वर्तमान परिवेश में कुँड़ुख भाषा की चुनौतियां।
प्रथम सत्र के अंत में पहले दिन की समीक्षा के बाद अगले दिन के बेहतर कार्य की शुभकामनाओं के साथ प्रथम दिवस कार्यशाला की समाप्ति की घोषणा हुई।
रिपोर्ट:
नीतू साक्षी टोप्पो
पेल्लो कोटवार, अद्दी अखड़ा संस्था रांची।