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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं मातृभाषा शिक्षा

भारतीय संविधान के चौथे भाग उल्लिखित नीति निदेशक तत्वों में कहा गया है कि प्राथमिक स्तर पर सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षण की व्यवस्था की जाए। सामान्य परिचय :- जब देश 15 अगस्त 1947 ई० को स्वतंत्र हुआ, तभी से ही भारत में शिक्षा नीति पर जोर दिया जा रहा है। सन् 1948 ई० में विश्वणविद्यालय शिक्षा आयोग डॉ० राधाकृष्ण की अध्यक्षता में बनी, फिर 1952 में माध्यमिक शिक्षा आयोग जिसकी अध्यक्षता श्री लक्ष्मण स्वामी मुदालियर ने की, जिसे मुदालियर आयोग के नाम से भी जानते है। 1964 ई० में शिक्षा नीति श्री दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में बनी जो कि 1986 का राष्ट्रीय शिक्षा नीति को कोठारी आयोग से जानते है। 1990 ई० में आचार्य राममूर्त्ति की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर समीक्षा समिति तथा 1993 ई० में प्रो० यशपाल समिति का गठन किया गया। 
    तत्पष्चात् 34 वर्ष बाद नई शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति है, जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के० कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। इस नीति में शिक्षा की पहुँच, समता, गुणवत्ता वहनीयता और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष फोकस किया गया है।
पाठ्यचर्या प्रारूप – 5+3+3+4 (वर्ष 3-18 वर्ष) -
उम्र 3-8 वर्ष आयु बच्चों को शैक्षिक पाठ्यक्रम में दो समूह में बाँटा गया है।
(1) 3-6 वर्ष आंगनबाड़ी / बालवाटिका / पूर्व स्कूल / प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा।
(2) 6-8 वर्ष प्राथमिक विद्यालय कक्षा 1-2 में शिक्षा प्रारंभिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल और गतिविधि आधरित बनाने की प्राथमिकता दी जाएगी। 
NEP में MHRD द्वारा बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान जिसमें निपुण भारत (NIPUN) 5 July 2021 को आरंभ किया गया। इस योजना का पूरा नाम नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिग एवं न्यूमेरेसी है। 
इसके माध्यम से आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता ज्ञान निपुण योजना के माध्यम से सन् 2026-27 तक प्रत्येक बच्चे को तीसरी कक्षा के अंत तक पढ़ने, लिखने एवं अंकगणित की सीखने की क्षमता प्रदान की जाएगी। इस योजना का कार्यान्वयन स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा किया जाएगा। 
5 स्तरीय राष्ट्रीय - राज्य - जिला - ब्लाक - स्कूल में बाँटा गया है। जिसमें शिक्षकों को Digi Sath द्वारा Online कोर्स प्रशिक्षण व प्रमाण-पत्र दिया जा रहा है ताकि सभी शिक्षक हुनरमंद व प्रशिक्षित होंगे। 
मूलभूत भाषा एवं साक्षरता - 
- मौखिक भाषा का विकास
- ध्वनियात्मक जागरूकता 
- डिकोडिंग 
- शब्दावली 
- लेखन-रीडिंग कप्रीहेंशन 
कल्चर ऑफ रीडिंग -
- पठन प्रवाह 
- प्रिंट के बारे में अवधारणा 
मूलभूत संख्यात्मकता और गठित कौशल - 
- पूर्व संख्या अवधारणाएँ
- नंबर एवं आपरेषन ऑन नंबर 
- गठित तकनीकि 
- मापन 
- आकार एवं स्थानिक समाज  
- पैटर्न 
    साथ ही झारखण्ड राज्य के JCERT (झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद), राँची द्वारा जिला स्तरीय, प्रखण्ड स्तरीय द्वारा चार दिवसीय FNL प्रशिक्षण, शिक्षकों को दिया जा रहा है। 
बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान -  
वर्ग 1 में मातृभाषा / हिन्दी - 70 + 30 = 100. वर्ग 2 में मातृभाषा / हिन्दी - 50 + 50 = 100. वर्ग 3 में मातृभाषा / हिन्दी / अंग्रेजी = 50 + 30 + 20 = 100. 
अभी 2022 से 5 वर्ष के लिए लोहरदगा जिला के 50 विद्यालयों में मातृभाषा कुँडुख़ आधारित पायलट योजना के अन्तर्गत लागू किया गया है। बाद में यह राज्यों के सभी विद्यालयों में लागू किया जाएगा। 
3 स्तर : 9 -11 वर्ष 
    वर्ग 3, 4, 5 - मातृभाषा के माध्यम से पढ़ाई का प्रावधान है जिसमें देश के 8वीं अनुसूची वाले भाषाओं के साथ - साथ अन्य आदिवासी व क्षेत्रीय 123 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है। 
3 स्तर : 12 -14 वर्ष 
वर्ग - 6, 7, 8 वां
4 स्तर : 15 -18 वर्ष 
वर्ग - 9, 10, 11, 12
-    10वीं बोर्ड खत्म किया गया है। 
-     अब 12वीं वर्ग में एक बार परीक्षा होगी। 
-     3 वर्ष की डिग्री उन छात्राओं के लिए जिन्हे हायर एजुकेशन नहीं लेना है। 
-     हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी। 
-     4 साल की डिग्री करने वाले स्टुडेंट एक साल में MA कर सकेंगे। 
-     MA के छात्र अब सीधे Ph.D कर सकेंगे। 
-     भाषायी विविधता का संरक्षण इस शिक्षा नीति में पांचवी कक्षा की शिक्षा में मातृभाषा/ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को मातृभाषा का माध्यम बनाया जाएगा तथा बाकी कक्षा में विषय के रूप में चयनित कर आगे की पढ़ाई की जाएगी।
पाठ्यक्रम और मूल्यांकन -
इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार कला और विज्ञान व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम के लिए मानक निर्धारित की गई है। 
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् NCERT सेमेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्ना परख - राष्ट्रीय आकलन केन्द्र की स्थापना की जाएगी कृत्रिम बुद्धिमता 2022 तक - शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यवसायिक मानव का विकास किया जाएगा। 
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद = वर्ष 2030 तक अध्यापक के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत बी०एड० डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।
NEP - 2022 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एन्ट्री एंड एक्जिट व्यवस्था को अपनाया गया है।
3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र बीच में भी छोड़ सकते है। 
1 वर्ष के बाद - प्रमाण-पत्र 
2 वर्ष के बाद - एडवांस डिप्लोमा 
3 वर्ष के बाद - स्नातक डिग्री
4 वर्ष के बाद - शोध के साथ स्नातक उपाधि प्रदान की जाएगी। 
अंको को डिजिटल द्वारा सुरक्षित रखने के लिए एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट द्वारा किया जाएगा। M.Phil कार्यक्रम समाप्त किया गया है। 
भारत उच्च शिक्षा आयोग का गठन (चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़ कर) -
- विनियमन हेतु - राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद्
- मानक निर्धारण - सामान्य शिक्षा परिषद्
- वित्त पोषण - उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद्
- प्रत्यायन - राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद्
देश में आई०आई०टी० और आई०आई०एम० के समकक्ष वैश्विक मानको के बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वंविद्यालय की स्थापना की जाएगी। 
एक राष्ट्र एक शिक्षा के आधार पर भविष्य में कार्य योजना बन रही है। जिसे सम्पूर्ण भारत में 2037 ई० से लागू किया जाएगा। 
                                    
प्रस्तुतकर्त्ता -
डॉ० बन्दे खलखो
कुँडुख़ सहायक शिक्षक 
रा० कृ० उ० उ० वि० राय,
बुड़मु, खलारी, राँची 
मो. 8709824623
दिनांक -13.03.2022

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