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आज के समय में इंसान इंटरनेट में कैद है और प्राकृति से दूर है

लेकिन अगर आपको समय मिले तो phytoncides प्रोसेस के बारे में गूगल करिएगा। आपको पता चलेगा कि जंगलों की ओर जाने से और वहां सांस लेने से आप अपना इम्यून सिस्टम बेहतर कर सकते हैं।

पूरा जंगल एक दूसरे की मदद करता रहता है। इस पूरे कांसेप्ट को Ubuntu कहते हैं। हम खुद को समझदार मानते हैं। लेकिन हमें ये कांसेप्ट बहुत कुछ सिखा सकता है। इसलिए दूसरों की मदद करते रहें और आगे बढ़ते रहें।

आप खुद सोचिए, इस वातावरण ने पेड़ पौधों के कितनी जनरेशन को देखा होगा। एक के बाद एक पीढ़ी आती रहती है। अलग-अलग पीढ़ियों के साथ संतुलन बनाने के लिए नेचर ने कितनी स्ट्रेटजीज़ बदली और बनाई होंगी। आज के दौर के मैनेजमेंट कॉलेज में स्टूडेंट्स को स्ट्रेटजी बनाना ही सिखाया जाता है। जिसके लिए मोटी-मोटी फीस लेते हैं। लेकिन उसी मैनेजमेंट स्किल को आप फ्री में नेचर से भी सीख सकते हैं।
आपको देने के लिए नेचर के पास बहुत कुछ है। अब आपको खुद से सवाल करना है कि क्या आपके पास नेचर के करीब जाने का समय है?

कभी समय मिले तो अपने पास मेडिकल स्टोर में जाइएगा और देखिएगा कि आपकी दवाइयों में नेचर का कितना योगदान है? बहुत सारी इंसानी दवाइयों में नेचर के ही species का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए हर्ट अटैक से बचाने वाला ड्रग Coumadin नेचर की SPECIES  Sweet Clover से लिया जाता है। HIV-AIDS की थैरेपी में उपयोग किए जाने वाला केमिकल Marine Sponges से लिया जाता है।

👉 आप गौर करेंगे कि पूरे एनिमल किंगडम में फीमेल जेंडर का प्रभाव ज्यादा है :

जंगल के हाथियों की लीडर फीमेल हाथी है। इसी के साथ शेरों और बाघों को भी फिमेल ही लीड करती हैं। नेचर के इस हाव भाव को समझने के बाद आपको एहसास हो जाएगा कि इस संसार के लिए औरतों की भूमिका कितनी ज्यादा ज़रूरी है? कोई भी समाज तब तक शक्तिशाली नहीं हो सकता है। जब तक उस समाज की औरतें शक्तिशाली नहीं होंगी। इसलिए बैलेंसड ईकोसिस्टम के लिए मेल और फिमेल दोनों की भूमिका ज़रूरी है। 

पुरुष और महिला दोनों की  खूबियाँ हैं, और ये खूबियाँ एक दूसरे के बिना अधूरी हैं। अगर Masculine एनर्जी शौर्य का प्रतीक है। तो Feminine एनर्जी शक्ति की, इन दोनों को मिलाकर ही शौर्य-शक्ति का समावेश हो सकता है।

ह्यूमन हिस्ट्री को तैयार करने में भी इन दोनों एनर्जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मानव इतिहास बताता है कि इन दोनों एनर्जी नें मिलकर ही धरती में जीवन को तैयार किया है।
हम नेचर से सीख सकते हैं कि सामने वाले का सम्मान कैसे किया जाता है? हमें सीखना होगा कि इस दुनिया के लिए बस हम ही ज़रूरी नहीं है। बल्कि सामने वाला जेंडर भी हमसे ज्यादा ज़रूरी है। 

👉लेकिन अब ऐसा समय आ गया है कि हम लोग नेचर की कद्र नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि नेचर में कुछ भयानक बदलाव हो रहे। जिन्हें पर्यावरण परिवर्तन कहा जाता है। हमें समझना होगा कि नेचर में बदलाव एक कटु सत्य है जिससे आंखे चुराना शुतुर्मुर्ग की तरह अपना सिर रेत में छुपा लेने के बराबर होगा।
पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, ये सच है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं ये सच है। ऐंटार्कटिक की बर्फीली परतें तीव्र गति से पिघल रही हैं जिससे समुद्रों का जलस्तर चढ़ रहा है, ये भी सच है। और ये सब हो रहा है हमारी आपकी ज़रूरतों के कारण। इसलिए अब समय आ गया है कि हम लोग अपनी-अपनी ज़रूरतों पर लगाम लगाएं और खुद को नेचर के करीब लाने का प्रयास करें।

हम सभी जानवरों से कुछ ना कुछ सीख सकते हैं? अब बताओ हम आलसी जानवर "हम्बल स्लोथ" से क्या सीख सकते हैं? ये तो दिन भर पेड़ से लटका रहता है। चलता भी बहुत धीमे है और अपना काम भी धीमे-धीमे ही करता है।
तो क्या इससे हम आलसी होना सीख सकते हैं? ऐसा बिल्कुल नहीं है। भले ही हम स्लोथ को आलसी समझते हैं। लेकिन असलियत में उसके अंदर बहुत फुर्ती होती है। उसके शरीर की बनावट ऐसी है कि वो हमेशा अपने एनर्जी का यूज नहीं कर सकता है। इसलिए जब उसे सबसे ज्यादा ज़रूरत पड़ती है, तभी वो अपनी पूरी एनर्जी का उपयोग करता है।

👉पूरे नेचर में हर कोई बेसिक प्रिंसिपल को फॉलो करता है। नेचर में कोई भी आपको एफर्ट्स और एनर्जी की बर्बादी करते नहीं दिखेगा। सभी एनर्जी को बचाने की कोशिश करते हैं। हम इंसान होते हुए नेचर से ये सीख ले सकते हैं। हमें भी अपने रिसोर्सेस की कद्र करनी होगी। हमें समझना होगा कि इन रिसोर्सेस को आने वाली पीढ़ी भी यूज करेगी। इसलिए ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इन रिसोर्सेस को बचाकर उपयोग करें।
हर सेकंड धरती में एनर्जी के रूप में सूर्य किरण आती रहती है। हम सोच भी नहीं सकते हैं कि इस एनर्जी में कितनी ताकत है? सिर्फ एक घंटे की सूर्यकिरण की एनर्जी को पूरा विश्व 6 महीनों तक उपयोग कर सकता है।

👉इसलिए अब समय आ गया है कि हम लोग एनर्जी की कद्र करना सीख जाएँ। बिना एनर्जी के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। हमारा वातावरण हमें सब कुछ दे रहा है। लेकिन समस्या ये है कि हम और ज्यादा लालची होते जा रहे हैं। हमें भी नेचर में मौजूद जानवरों के बेसिक प्रिंसिपल को अपनाना होगा। हमें नेचुरल रिसोर्स को बचाने की कोशिश करनी होगी। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो फिर हमारी आने वाली पीढ़ियों के पास मौत के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

इन सबके अलावा हम अपनी खुद की एनर्जी और एफर्ट्स भी बहुत ज्यादा बर्बाद करते हैं। हमको पता भी नहीं चलता है कि हम दूसरों की बुराई करने में कितना समय बर्बाद कर देते हैं? हम अपने लुक्स पर बहुत समय बर्बाद करते हैं। इन सबके अलावा हम नेगेटिव थॉट्स, डिप्रेशन, एंग्जायटी, ओवर थिंकिग के ऊपर अपना समय और एफर्ट्स बर्बाद करते रहते हैं। हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि ये सब फ़ालतू की चीजें हैं। इनसे हम खुशियों तक कभी नहीं पहुँच पाएंगे।
इसलिए बर्बादी के रास्ते को छोड़कर, क्रिएट करने की दुनिया में कदम रखने का प्रयास करें। पूरा खेल ही माइंड सेट का है। जानवरों से माइंड सेट सीखने की कोशिश करें। ऐसा करने से आप असल मायनें में इंसान बन जाएंगे।

👉हमें नेचर सिखाता है कि बुरे समय से कैसे डील करते हैं?

मोंटाना के कूक शहर का वाकया है। तारीख थी 20 अगस्त साल 1988, इस तारीख़ को इतिहास के पन्नों में काली स्याही के तौर पर लिख दिया गया था। इस दिन सुबह से शहर आम दिनों की तरह ही था। लेकिन शाम होते-होते नेचर ने एक भयानक मंजर देखा।
इस शहर ने ऐसे तूफ़ान को देखा, जिसको बता पाना भी मुमकिन नहीं है। उस तूफ़ान ने पूरी तरह से सबकुछ बर्बाद कर दिया था। तूफ़ान के साथ-साथ आग भी लग गई थी, जिससे कई एकड़ों की ज़मीन काली स्याही बन गई थी।
लेकिन नेचर को फाइट बैक करते आता है। साल भर ही नहीं बीते रहे होंगे कि नेचर ने सबकुछ पहले जैसा ही कर दिया। साल भर बाद चारों तरफ हरियाली नज़र आ रही थी। खेतों को देखकर कोई कह ही नहीं सकता था कि इन्होने पिछले साल कितना बुरा समय देखा था?
ऐसा कई बार होता है कि जंगलों में आग लग जाती है। अधिकांश बार उस आग की तीव्रता बहुत अधिक होती है। लेकिन हर बार कुछ समय बाद ही जंगल खुद को फिर से तैयार कर लेते हैं। ये उनकी सबसे बड़ी खूबी है और इसी खूबी को इंसान को उनसे सीखना होगा।
अगर आज के समय में इंसान जंगलों से इस खूबी को सीख ले, तो उसकी ज्यादातर मानसिक बीमारियाँ तो जड़ से ही खत्म हो जाएंगी।

"मौत याद रखो और मौज़ साथ रखो" इसी फिलॉसफ़ी से नेचर और वहां मौजूद जीव जन्तु जीते हैं। इंसान भी इस सिद्धांत से बहुत कुछ सीख सकता है।

हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम अपनी ज़िन्दगी को नेचर की तरह सरल और सुगम बना लें। ऐसा करने से हमें मानसिक शान्ति मिलेगी। जिससे हमारे जीवन की ज्यादातर दिक्कतें समाप्त हो जाएंगी।

👉जो हमसे पहले आए, उनसे हमें बहुत कुछ सीखना है:

कल्पना कीजिए कि आप समुंद्र के तट के नीचे गोते लगा रहे हैं। तभी आप वहां डॉलफिन को एक रिचुअल करते हुए देखते हैं।
जो काम डॉलफिन कर रही थी, उसे स्पंज हंटिंग कहते हैं। इस प्रोसेस से वो अपने लिए नाश्ते और खाने की व्यवस्था करती हैं। इस प्रोसेस को केवल आप नहीं देख रहे थे। बल्कि वहां मौजूद डॉलफिन के बच्चें भी अपनी माँ को ये प्रोसेस करते हुए देख रहें थे।
वो बस देख नहीं रही थी बल्कि वो भविष्य के लिए सीख भी रही थे। डॉलफिन की ये प्रोसेस हमें बताती है कि हम अपने पूर्वजों के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसलिए जब कभी आपको कोई आपसे पहले वाला इंसान कुछ सिखाए, तो तुरंत दिमाग खोलकर सीखने की शुरुआत कर देना।

जंगलों में मौजूद Species, हमें बताते हैं कि एक्सपीरियंस से बेहतर चीज़ ज़िन्दगी में कुछ और नहीं होती है। इसलिए हमेशा दूसरों के एक्सपीरियंस से सीखने की कोशिश करें। आपकी जनरेशन से पहले की जनरेशन वाले लोग आपको वो स्किल सिखा सकते हैं। जिसकी मदद से आप इस दुनिया में आसानी से सर्वाइव कर लेंगे।

नेचर से ऐसी बहुत सी खूबियाँ हैं, जो आप सीख सकते हैं। इसके लिए आपको कोई नासा में ट्रेनिंग लेने भी नहीं जाना होगा। आपको बस अपने आस पास के बाग़ बगीचे में सैर के लिए जाना होगा। वहां मौजूद पेड़ पौधे, पशु पक्षी, आपसे बातें करेंगे और आपको बहुत कुछ सिखाकर भेंजेंगे।

अगर दिमाग में थकान लगे तो एक छोटी सी वॉक करें। पेड़ पौधों को देखें, उन्हें समझने की कोशिश करें। हो सके तो कभी जंगलों की ओर सैर के लिए जाएँ। बच्चे बनकर सबसे कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करें।

जोहार 

श्री बिशु उरांव के फेसबुक पेज से साभार।

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