दिनांक - 05/01/2025, दिन- रविवार को स्थान- पड़हा पिण्डा, छोटका सैन्दा, टूकू टोली, सिसई, गुमला में 'डहुड़ा कुद्दना हंका' का आयोजन हुआ। जिसका विषय - कुंड़ख़र पद्दा पंच्चा, पड़हा पंच्चा, बेल पंच्चा और सरकारी न्यायालय व्यवस्था रहा। तीन संगी पड़हा (9+6+7 = 22 पड़हा ) की प्रतिनिधियों की उपस्थिति देखी गई। मुख्य वक्ताओं में डॉ नारायण उरांव "सैंदा", डॉ नारायण भगत , लोहोर मइन उरांव, प्रो० रामचंद्र उरांव, आदि ने इस विशेष बैठक में संबोधित किया। ग्रामसभा पड़हा व्यवस्था को सशक्त करने के लिए संबंधित पुस्तकें भेंट देकर प्रेरित किया गया। प्रत्येक गांव में धुमकुड़िया को पुनर्जीवित कर अपनी विशिष्ट कुँड़ुख भाषा एवं तोलोंग सिकि लिपि को ग्राम स्तर पर पठन- पाठन करने पर सर्वसहमति दिखाई दी। प्रो० रामचंद्र उरांव द्वारा पेसा 1996 एवं पी-पेसा 1996 के नाम से समाज में उठ रही भ्रांतियों को स्पष्ट करते हुए बातें बताई। डॉ नारायण भगत ने गुमला जिले के कुँड़ुख भाषा पुनरूत्थान केंद्र, बह्मनी की सरकार द्वारा पहल की सराहना की और भविष्य के आयोजनों में भागिदारी बनाए रखने को कहा ।
इस आयोजन को सफल बनाने के लिए मुख्य रूप से गजेन्द्र उरांव (पड़हा कोटवार), ग्राम सैन्दा, मटकु उरांव, ग्राम कोड़दाग, जुब्बी उरांव, ग्राम मकड़ा, बिरसा उरांव, ग्राम भुरसो, उमेश पुजार, ग्राम सैन्दा, धुमा उरांव, ग्राम छारदा उपस्थित थे। सहयोगियों में छारदा स्कूल प्रधानाध्यापक धूमा उरांव, कार्तिक उरांव, कुँड़ुख विद्यालय शिवनाथपुर के प्रधानाध्यापक सुकरू उरांव, अरविंद उरांव, भुनेश्वर उरांव, जुगेश्वर उरांव, बलेश्वर उरांव, बुधराम उरांव, जितेश मिंज, बिमला मिंज, क्रिस्टिना कुजूर, शिवशंकर उरांव इत्यादि मौजूद थे।
रिपोर्ट:-
नीतु साक्षी टोप्पो
पेल्लो कोटवार, अद्दी अखड़ा संस्था।