भारत के उरावं आदिवासियों की भाषा कुंड़ुख इन दिनों खूब चर्चा में है। झारखंड की हेमंत सरकार ने सरकारी स्कूलों में कुंड़ुख भाषा की पढ़ाई का बीड़ा उठाया है। एक समय था जब कुंड़ुख एक संपूर्ण भाषा नहीं महज एक बोली थी। इसकी अपनी लिपि नहीं थी। कई दशकों से संबंधित विद्वान लोग इस बोली की लिपि विकसित करने की कोशिश करते रहे। इसमें अक्षरों की आकृति, वैज्ञानिकता, प्रयोग विधि आदि पर एक सहमति बनाना टेढ़ी खीर थी। और अंतत: वर्ष 1998 और 2000 के बीच डॉ नारायण उरावं और उनकी टीम को अथक मेहनत से सफलता मिली और कुंड़ुख के लिए 'तोलोंग सिकि' लिपि का जन्म हुआ। पेशे से चिकित्सक डॉ उरावं की उस लम्बी यात्रा का वृतांत इस वीडियो डॉक्युमेन्ट्री में देख सकते हैं..
Sections