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कुँडुख़ (उराँव) भाषा शिक्षक पद सृजन में भारी गड़बडी, सर्वे निरस्त कर पुन: सर्वे कराने की मांग

झारखंड सरकार की ओर से पहली बार आदिवासी/ जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा शिक्षक बहाल करने जा रही है।  सरकार चाहती है कि आदिवासी भाषाओं का विकास, संरक्षण एवं संवर्धन हो। पिछले दिन आदिवासी भाषा शिक्षक पद सृजन करने के लिए सर्वे किया गया। जिसमें सर्वे नीति सही नहीं होने के कारण प्राथमिक/ मध्य विद्यालय के प्रधानाचार्य के द्वारा गलत तरीके से विद्यालय में कुँडुख़/ उराँव बच्चों का नामांकन अधिक होने के बावजूद कुँडुख़/ उराँव बच्चों को ही नागपुरी बच्चों की संख्या दिखाकर एवं बच्चों के द्वारा व्यवहार की जाने वाली सादरी बोली को आधार बनाकर नागपुरी भाषा पद का सृजन किया गया है। +2 उच्च विद्यालय एवं कक्षाएं 9-10 में भी कुँडुख़ के स्थान पर  नागपुरी का पद सृजित किया गया है। तथा वर्ष 2016 -2019 में कुँडुख़ के स्थान पर नागपुरी का शिक्षक बहाल किया गया है| अभी +2 उच्च विद्यालय  में बहाली प्रकिया चल रही है जिसमें सुधार हेतु कुँड़ख़र समाज के द्वारा आवेदन दिया गया था लेकिन सरकार ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया। दूसरी ओर सर्वे का सही नीति नहीं होने के कारण मनमानी तरीके से पद सृजित किया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। इधर कुँड़ख़र समाज के द्वारा सरकारी विद्यालय के प्रधानाचार्य पर  गलत सर्वे- रिपोर्ट देने का अरोप लगा रहे हैं। सरकार को इस गंभीर विषय को संज्ञान में लेते हुए सरकार को गुमराह करने और गलत रिपोर्ट देने वाले प्रधानाचार्यो/ प्रभारी शिक्षकों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इसे लेकर कुँड़ख़र समाज आक्रोशित है। इसे आवगत कराने तथा सर्वे निरस्त कर पुनः सर्वे एक उचित नीति के तहत, कुँडुख़/ उराँव बच्चों के विद्यालय में नामांकित संख्या के आधार पर पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में भाषा शिक्षक का पद सृजित किया जाना चाहिए। इस गंभीर विषय को लेकर कुँडुख़/ उराँव भाषा संरक्षण समन्वय समिति झारखंड प्रदेश ने दिनांक 8/7/2024 को सिसई विधानसभा क्षेत्र के विधायक को उनके कार्यालय जाकर ज्ञापन सौंपा गया। विधायक सुसारन होरो ने कहा कि इसमें सरकार की गलती नहीं है। आप लोग अपना भाषा छोड़कर सादरी बोलते हो इसका फायदा उठाकर  सरकारी शिक्षक ऐसा कर रहे हैं। विधायक के द्वारा आश्वासन दी गई है कि वे इसे सदन में उठाएंगे और मुख्यमंत्री से बात करेंगे। आगे विधायक का कहना है कि इस प्रकार से गलत होना, आदिवासी विधायक और आदिवासी मुख्यमंत्री होने का क्या लाभ, यह गंभीर विषय है। इसे संज्ञान में लेते हुए इस बात को सरकार तक पहुंचाने का काम करेंगे। सलाह दिया कि आपस में कुँडुख़ भाषा का ही व्यवहार करें और बच्चों को सिखलाएं।
कुँडुख़/ उराँव भाषा संरक्षण समन्वय समिति झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष अरविंद उराँव, सचिव संजीव भगत, संयुक्त सचिव विनोद भगत 'हिरही', कोषाध्यक्ष गंगा भगत, सदस्य रतिया उराँव, पंकज उराँव के द्वारा पूर्व का सर्वे को निरस्त करते हुए पुनः सर्वे कराने की मांग को लेकर सिसई विधायक को ज्ञापन सौंपा गया।

रिपोर्टर 
अरविंद उराँव, अध्यक्ष
कुंडुख उराँव भाषा संरक्षण समन्वय 
समिति,  झारखंड प्रदेश
 

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