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Folklore

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सय बिमल टोप्पो की चाय बगान पर कुँड़ुख़ कविता तोलोंग सिकि एवं देवनागरी लिपि में

जुलूस ही मुंधवारे केरकन ख़इक्खकन गा डण्डा. नीःदी कूल चिचयारकन इन्कलाब ही डण्डी किर्र बरच एःरदन एड़पा नू मल्ला से गा मण्डी. राशन मल्ला तनखा मल्ला, मल्ला तो बोनस ओन्ना मल्ला अत्तना मल्ला मंजा सरबनास. ख़द्द चीं'ख़ी, मुक्का चीं'ख़ी‚ एःरर कट्टू नीःदी एन्दरा ईदिम तली बगनियर ही असल आजादी ?..

सय बिमल टोप्पो की कुँड़ुख़ कविता तोलोंग सिकि एवं देवनागरी लिपि में

हाथी हाथी ! हाथी ! हाथी ! इदा हाथी, अदा हाथी इसन हाथी असन हाथी सगरे दुनिया नू हाथी मुंधवारे हाथी, ख़ोख़ा हाथी पईरी न पुतबारी हाथी टोड़ंग नू हाथी, पद्दा नू हूं हाथी लुका ओदआ, फटका चो'ड़ताअ़आ ब'आ - हटो बबा, बुढ़ा बबा पीछे हटो गनेस बबा. (गणेश)

कुलदीप तिग्गा की कुंड़ुख़ कविता : देवनागरी लिपि एवं तोलोंग सिकि में

jingi| Bair bipaiq dahre
jingi| gA niMwirkA mal rahcA,
jingi| nu kayno dahre rahcA,
jingi| nu beMkko dahre rahcA,
bipaiq qi kiyyA-mayYA niMwirkA,
paheE ibzA jingi| gahi soBnA.
ak|un qA bezA nAm ekA qarA kA:loq,
barnA bezA nAm ekA se uj|oq,
akkun qA bezA nAm ujjA kA:loq,
barnA bezA nAm soJ kA:loq,
ekA bezA eQerLo ujjnA dahre.
i bezA soJ dahre kA:loq,
barA e:kqe De:r gecCA kA:loq,
jingi| e:rqe Aur gecCA kA:loq,

तोलोंग सिकि तोड़पाब (वर्णमाला) पर कुँड़ुख़ बाल कविता

तोलोंग सिकि तोड़पाब (वर्णमाला) पर श्री बिमल टोप्पो की कुँड़ुख़ बाल कविता का देवनागरी एवं तोलोंग सिकि में लिप्यान्तरण तोलोंग सिकि तोड़पाब (वर्णमाला) पर श्री बिमल टोप्पो की कुँड़ुख़ बाल कविता का देवनागरी एवं तोलोंग सिकि में लिप्यान्तरण तोलोंग सिकि तोड़पाब (वर्णमाला) पर श्री बिमल टोप्पो की कुँड़ुख़ बाल कविता का देवनागरी एवं तोलोंग सिकि में लिप्यान्तरण

ए:न ओन्टा मड़ा (मैं एक लाश) कुँड़ुख़ कविता तोलोंग सिकि में

नेड्डा 28/5/21 उल्लाA मंग्गeर गे "जनजाति दर्पण" पत्रिका (कोलकाता) तरती वेबिनार ही सराजमा नंज्जतका 
   नु कुँड़ुख़ कविता पाठ मंज्जा. अइय्या प्रतिभागी मनर सय बिमल टोप्पोणस ही कुँड़ुख़ कत्थ(डण्डीट (कविता) बँचतारा, आद बिमल भईयोस ही गछरना दरा आइनका ती‚ बचउर गे तोलोंग सिकि नु सिकिजुमा (लिप्युन्तआरण) ननर चि‍पतारकी बि’ई।
           
 
ए:न ओन्टा मड़ा
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ख़द्दी परब (सरहुल त्योहार)

नमहँय देश भारत नू अकय बग्गे भख़ा कछनखरऊ अरा नने किसिम गहि संस्कृति खोड़हा नू मेसेरका रअ़र्इ। हुल्लो परिया तिम इसन नने रकम जइतर तंगआ-तंगआ भख़ा-संस्कृति, परम्परा अरा विश्‍वासन अङिय’अर संग्गे-संग्गे रअ़ते बरआ लगनर। र्इवन्दा बेड़ा नू अकय किय्या-मर्इय्या मंज्जा। एका-एका जइतर गहि भख़ा-संस्कृति, इतिङख़ीरी गहि कगद नूम रर्इह केरा, पहें एका-एका खोड़हा गहि आ:लर, बिड़दो अरा ससर्इत बेड़ा नू हूँ तंगआ परम्परा अरा धरोहरन जतन’अर उर्इय्यर। र्इ भख़ा-संस्कृति नू ओण्टे कँुड़ुख़ भख़ा-संस्कृति हूँ रअ़र्इ। र्इ:द ओण्टे अद्दी भख़ा-संस्कृति गहि रू:पे नू अख़तार’र्इ। र्इ अद्दी भख़ा-संस्कृतिन अङियाचका आ:लर अक्कुन ता बेड़ा नू उराँव (कुँड़

करम परब गही ख़ीरी (करम त्योहार की कहानी)

बअ़नर - हुल्लो परिया नु ओरोत कुँड़ुख़ बे:लस ही रा:जी नु ओंगओल अनभनियाँ रा:जी कीड़ा मंज्जा। चेंप-झड़ी मल पुर्इंका ती खितीपुती मल मना लगिया। तूसा-झरिया, खाड़-ख़ोसरा, कूबी-पोखारी उरमी ख़ाया लगिया। मन्न-मास ही खं़जपा हूँ नठारआ हेल्लरा। ओना-मोख़ा गे मल ख़खरना ती टोड़ंग-परता ता अड़ख़ा-चे:खे़ल अरा बोकला गुट्ठीन मो:ख़र, आलर एकअम बेसे उल्ला खेपआ लगियर। चान-चान, चेंप-झड़ी मल मना लगिया। एन्ने नु कुँड़ुख़ बे:लस गे रा:जी चलाबअ्ना अफर्इत मंज्जा केरा। बे:लस ही ख़द्द-ख़र्रा मल रहचका चड्डे आस हेन्दवारकम रआ लगियस पँहेस रा:जी की:ड़ा बे:लासिन अउर बग्गे दुक्खे चिच्चा। बे:लस, बखड़े नु अख़आ-बल्ला उरमी मधे ही बर्इध-मती, ओहरा-बिनती अरा

बच्‍चों की कविताएं

बच्‍चों की कविताओं का चलन आदिवासी समाज में अरसे से चला आ रहा है। अक्‍सर बोल में या गीत के स्‍वर में इसका स्‍वरूप मिलता रहा है। एक से बढ़कर एक खूबसूरत और ज्ञानवर्द्धक बाल गीत चलन में सुना जाता रहा है। लेकिन अब जब कुंड़ुख समाज अपनी लिपि अपनी भाषा विकसित कर चुके है तो बाल गीत क्‍यों न सामने आयें। इसी उद्देश्‍य को मद्देनजर प्रस्‍तुत हैं डॉ नारायण उरावं द्वारा रचित कुल बाल गीतों का संकलन।

डॉ नारायण उरावं द्वारा रचित

 

धरमुस बिट्ठी केरस (एक इतिहास) 

देवनाथ सायस गही समधियान कुकड़ो पद्दा रहचा। तंगदन ओन्दर’आ गे गोल्लस धरमुसिन बिट्ठी धरचस। र्इ चान पर्इयाँ उरूख़कन्ती आस तंगदा गने पुरी सहर तिरिथ काला गे मनमनरस। धरमुस मून्द गोटंग अउर कुँड़खा़रिन बिद्दयस। देवनाथ गोल्लस गहि तिरिथ उरूखना उल्ला पतरा ए:रर की टिपिरकी रहचा। अँवती धरमुस तड़तड़ाय के कुकड़ो पद्दा केरस। पालकी नुं बिजोली बींड़िन अरग’अर की धरमुस अरा संग्गियर हँफा-हँफी किर्रा लगियार। ओन्टे दरंगन कट्टतो’ओ बी:री पालकी ओन्टे टिलहा संग्गे धस्सरा केरा। दुक्खे ने:का हों मला मंज्जा, न नी:क’र्इम खत्तरर न मुड्डियर, पालकी भइर ओन्द कों:ड़ा नुं ख़ज्ज ती धस्सरा। बिजोली, एड़पा अंड़सर की र्इ ख़ी़रिन तम्बस हेद्दे तिं

कुँड़ख़र ही कुड़ा-मो:ख़ा सिखिरना अरा सिखाबअ़ना

बअ़नर - हुल्लो परिया नु नमहय पुरखर टोड़ंग-परता अरा नाल-झरिया अबड़ा गने रअ़नुम नमन बछाबा:चर। आ बेड़ा नु कन्दा-ख़ंजपा गुट्ठिन बेगर बी:तकम मो:ख़ा लगियर। अहड़न हूँ ख़े:नम मो:ख़ा लगियर। कूल गे की:ड़ा लग्गो दिम अरा जिया गे अम्म ओनका लग्गो दिम। अवंगे कूल-की:ड़ा अरा अम्म ओनकन मेटाबआ गे टोड़ंग परता ता ख़ंजपन मो:ख़र दरा झरिया ता अम्मन ओनर बेड़न खेपचर।