कुड़ुंख भाषा साहित्य के पुरोधा एवं आधार स्तम्भ डॉ निर्मल मिंज 5 मई 2021 को हमारे बीच से सदा लिये जुदा हो गए। इस तरह अचानक उनका जाना हम कुड़ुख समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे एक कुशल समाज सुधारक, धर्म अगुआ एवं पिछड़े तथा शोषित वर्ग के अग्रगण्य पथ प्रदर्शक थे। विशेषकर अपनी मातृभाषा कुड़ुंख लिपि का सृजन संवर्द्धन एवं विकास के लिए इन्होंने न केवल नारायण उरांव सैन्दा का मार्गदर्शन किया बल्कि गोस्सनर कॉलेज रांची में सर्वप्रथम कुड़ुंख, मुन्डारी जैसे क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थापना किये। साथ ही रांची विश्वविद्यालय में भी उक्त विभाग की स्थापना में अभूतपूर्व योगदान दिये। कुड़ुंख भाषा तोलोंग लिपि विकास एवं संवर्द्धन हेतु स्थापित संस्था अद्दी अखड़ा द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यकलापों में इनका मार्गदर्शन एवं सहयोग अतुलनीय रहा। अद्दी अखड़ा रांची के समस्त सदस्यों की ओर से इस महान विभूति को मैं हार्दिक अश्ऱपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
जिता उरांव, अध्यक्ष अद्दी अखड़ा रांची।