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दैवीय आंधी-तूफान ने तय किया आदिवासियों का जतरा स्‍थल

यह वीडियो गुमला जिला के पड़हा बैठक का है। यह बैठक नौ गांव के पड़हा संगठन के माध्यम से लगाये जा रहे पड़हा जतरा का मसला पर लगातार तीन दिनों तक बुलाया गया। यानी  लगातार 2, 3 एवं 4 नवम्बर तक बैठक करने के बाद जो निर्णय हुआ उसका निष्‍कर्ष है। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि इस बार नौ पड़हा का पड़हा जतरा, सिलम टोंगरी, ग्राम बुड़का, थाना सिसई में लगेगा। इसके पूर्व, यह परम्परागत जतरा, जैरा टोंगरी, थाना सिसई में लगता आया था, परन्तु इस जतरा में विगत 4 दशक से विवाद चल रहा था। इस परम्परागत जतरा स्थल में ईसाई समुदाय के लोगों द्वारा गिरजाघर बनाया जा रहा था, जिसे परम्परागत जैरा जतरा समूह के लोगों द्वारा जतरा टोंगरी में गिरजाघर बनाये जाने का विरोध किया गया। जब बात नहीं बनी तो लोगों द्वारा नया बन रहे दीवाल को धंसाया गया। इस पर मुकदमा हुआ, और मामला थाना पुलिस से कोर्ट तक गया तथा बाद में वह चर्च बनकर तैयार हो गया। इस मामले में देश की आजादी से पूर्व, रॉयल एयरफोर्स में छह वर्ष कार्य करने वाले तथा सिसई प्रखंड के प्रमुख स्वर्गीय तिम्बु उरांव एवं अताकोरा गांव के पहान स्वर्गीय नरुवा पहान जैसे लोगों ने पड़हा जतरा को समेटने की पुरजोर कोशिश की और अपने जीवन काल तक लोगों को जोड़ कर रखा। परन्‍तु लगातार जैरा जतरा प्रबंधन समिति में मन-मुटाव होते-होते आखिर में नौ पड़हा 'करकरी अताकोरा' द्वारा अपने सीमा क्षेत्र के सिलम टोंगरी में जतरा लगाने का संयुक्त बैठक में फैसला लिया गया। कहा जाता है कि यह नौ पड़हा जतरा इसी टोंगरी में लगता था, पर दैवीय आक्रोश या आंधी तुफान में जतरा झंडा उड़ कर जैरा टोंगरी पहूंचा और तब से यह जतरा, जैरा टोंगरी में लगता आया था। इधर नौ पड़हा में नये फैसले से कुछ लोग कह रहे हैं कि दैवीय आस्था ने फिर से नौ पड़हा जतरा को अपने पुराने स्थल पर पहुंचा दिया है।

Mangra Oraon

रिपोर्ट - मंगरा उरांव
ग्राम मंगलो, थाना सिसई, गुमला।

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