दिनांक - 4 जून , 2023 को , 10:30 - 12:30 बजे तक, आदिवासी कॉलेज छात्रावास पुस्तकालय, करमटोली, रांची (झारखंड) में, आदिवासी शोध एवं सामाजिक सशक्तीकरण अभियान की श्रृंखला 3/2023 में "उरांव आदिवासी में प्रचलित रूढ़िगत विवाह के प्रकार" विषय पर चर्चा हुई .
चर्चा की शुरुवात के पहले उपस्थित लोगो द्वारा दिवंगत डॉ.करमा उरांव के सम्मान में श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया, तत्पश्चात प्रो.रामचंद्र उरांव ने विषय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए विषय प्रवेश कराया.
प्रो.रामचंद्र उरांव ने कहा कि आधुनिक हो रहे आदिवासी समाज में विवाह परंपरा में भी बदलाव हो रहे है जिससे विवाह की रीति रिवाज पर प्रतिकूल प्रभाव दिख रहा है. समय रहते, हमें जो भी रीति-रिवाज प्रचलित और मान्यता है इनका दस्तावेजीकरण हो और व्यापक प्रचार के साथ,अपने रूढ़ि जन्य बेंज्जा में पुरे विधि और श्रद्धा से अनुपालन हो. तभी हम सच्चे मायने अपने आपको रूढ़ि-परंपरा से संचालित समाज होने पर गर्व कर सकते है .
डॉ. नारयण उरांव ने बेंज्जा से सम्बंधित बातो को विस्तार से बतलाया तथा उरांव आदिवासी में प्रचलित रूढ़िगत विवाह के प्रकार" पर चर्चा किया. जिसमे, मुख्यता, मड़वा-कंड्सा बेंज्जा, सगई-संगहा बेंज्जा, अतखा पण्डी बेंज्जा, ढुकु-ढरा बेंज्जा, विशेष विवाह अधिनियम इत्यादि पर चर्चा हुई.
अंतरजातीय एवं अंतधार्मिक बेंज्जा का कैसे रोकथाम हो, इस पर व्यापक सामाजिक मंथन की जरुरत पर बल दिया गया. बेंज्जा के व्यवस्थित प्रक्रिया और नेगचार निभाने का क्रम क्या है? इस पर डॉ.उरांव के साथ श्री शरण उरांव ने विस्तार से बातों को बतलाया. साथ ही अपनी सुविधा अनुसार बेंज्जा नेग (जैसे बेंज्जा पूर्व विवाह कार्ड में चुमावान इत् यादि) को बदलने पर आपत्ति दर्ज कराया. इस दिशा में पड़हा, गांव समाज में सामाजिक-धार्मिक अगुवा को काम करने की जरुरत पर बल दिया. दस्तावेजीकरण में इन बातो का ध्यान रखने की जरुरत है, ताकि रीति-रिवाज में बहुत विभिनत्ता न हो और बाहरी रीति रिवाज के देखा-देखी में अपने मूल रीति रिवाज को न बदलें.
आदिवासी शोध एवं सामाजिक सशक्तीकरण अभियान (श्रृंखला 3/2023)
साथ ही उपस्थति साथियो ने मूल पड़हा व्यवस्था को मजबूत करने पर बल दिया क्यूंकि यही हमारे पूर्वजो द्वारा बनाई गयी व्यवस्था है, जो रूढ़ि की मूल अवयव में से एक " प्राचीनतम होने की बात हो स्थापित करता है, जिसे कोर्ट और कानून में अपना स्थान दिया गया है.
मीटिंग में कम सदस्य होने के बावजूद कई मूल चीजों पर विचार हुआ और बल दिया गया की और लोग भी मीटिंग में अधिक संख्या और समय पर सामाजिक सरोकार से भागीदारी निभाए और इस मुहीम हो आगे बढ़ाये.
अंत में आदिवासी छात्र संघ के मनोज उरांव द्वारा आदिवासी छात्र प्रतिनिधियों के साथ एक करियर और सामाजिक काउंसलिंग आयोजन करने पर चर्चा हुई , जिसमे युवा वर्ग को जोड़ने और प्रशिक्षित करने की बात हुई, ताकि वे स्वस्थ्य शाश्क्त आदिवासी समाज निर्माण में अपनी भागीदारी निभा सके.
सामाजिक शशक्तिकरण के उदेश्ये को आगे बढ़ाते हुए, अगले बैठक (9 जुलाई 2023, रविवार) में आदिवासी छात्र संघ के लोगो के साथ आदिवासी शोधकर्ता वर्ग को शामिल करने की बात हुई.
चर्चा में मुख्य रूप से श्री शरण उरांव, डॉ.नारायण उरांव, प्रो.रामचंद्र उरांव, श्री नागराज उरांव, श्री विश्वनाथ उरांव (5 पड़हा तिगरा), श्री शिव शंकर उरांव , नीतू टोप्पो व् अन्य थे.
इस प्रोग्राम के सफल आयोजन में फूलदेव जी, नीतू टोप्पो , मनोज उरांव , डॉ. विनीत भगत, डॉ. बैजंती उरांव, श्री शिव शंकर उरांव, श्री - नागराज उरांव ने अपने मत्वपूर्ण भूमिका निभाई|
रिर्पोटर -
प्रां. रामचन्द्र उरांव