BA एवं MA के कुँडुख़-भाषा विषय के पाठ्यक्रम में कुँडुख़ भाषा की लिपि तोलोंग-सिकि को शामिल कराने तथा पठन- पाठन कराने के लिए पारंपारिक स्वशासन पड़हा व्यवस्था गुमला, लोहरदगा, रांची के बेल राजाओं एवं सदस्यों ने कुलपति, रांची विश्वविद्यालय (रांची) से मुलाकात की। कुलपति महोदय ने अपनी व्यस्तता के बावजूद काफी समय निकाल कर प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की। कुलपति महोदय ने बताया कि महामहिम राष्ट्रपति के झारखंड आगमन को लेकर उनकी व्यस्तता काफी बढ़ी हुई है। बावजूद इसके कुलपति ने यह आश्वासन जरूर दिया कि वह जल्द ही पुन: इस प्रतिनिधिमंडल के साथ 01 मार्च को बातचीत करके मामले का समाधान निकाल लेंगे। हालांकि कुलपति ने प्रतिनिधिमंडल से वह 'गजेट' की कॉपी की मांग की जिसमें कुंड़ुख/तोलोंग-सिकि को राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त है।
बतायें कि प्रतिनिधिमंडल ने जो ज्ञापन कुलपति को सौंपा उसमें राज्य सरकार के सचिव रहे मुख्त्यार सिंह द्वारा अनुमति मिल चुकी है। यही नहीं झारखंड इंटरमीडियट काउन्सिल के निर्देश पर मैट्रिक परीक्षा में कुंड़ुख भाषा विषय की परीक्षा तोलोंग सिकि लिपि में कराने का निर्देश भी शामिल है। उसके अनुसार 2009 में एक विद्यालय में और 2016 से सभी विद्यालयों में कुड़ुख भाषा की परीक्षा तोलोंग सिकि लिपि में करायी जा रही है।
यहां यह बताना भी प्रासंगिक होगा कि रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में पाठ्यक्रम बनाये जाने हेतु रजिस्ट्रार द्वारा आदेश दिया गया था। बावजूद इसके जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग ने अब तक कुंड़ंख भाषा की लिपि तोलोंग सिकि को शामिल नहीं किया है।
बताते चलें कि झारखंड सहित 29 राज्यों एवं दो केंद्र शासित प्रदेशों में रहनेवाली जनसंख्या क्रमश: 52 लाख, साढ़े आठ लाख, साढ़े नौ लाख एवं सवा चौदह लाख लोग कुंड़ुंख भाषा-भाषी हैं।
कुलपति से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में रंथु उरावं (12 पड़हा बेल मन्हो जोरी), एतवा उरांव (9 पड़हा करकरी, मंगलो, भरनो, गुमला) जुब्बी उरांव (लोंगा, भरनो), देवस्थन उरांव (7 पड़हा बेल केंद्र वलमी, भंडरा, लोहरदगा) गजेन्द्र उरांव (नौ पड़हा कोटवार सैन्दा), अरविन्द उरांव (नौ पड़हा देवान आताकोरा करकरी, सिसई, भरनो), सुका उरांव (7 पड़हा कोटवार बेड़ो), पंकज उरांव (पहान), विजय उरांव (35 पड़हा बेल लोहरदगा), अजय लकड़ा (12 पड़हा बेड़ो), विनोद भगत (7 पड़हा बाघा लोहरदगा), सुरेश उरांव (7 पड़हा धनकारा लातेहार), संजीव भगत (पारंपरिक स्वशासन पड़हा, लोहरदगा), संतोष उरांव (लातेहार), नरेश उरांव (12 पड़हा सेन्दुर, लोहरदगा), करमा उरांव (12 पड़हा, नरकोपी), डॉ शांति खलखो (शिक्षाविद्), नीतू साक्षी टोप्पो (शोधार्थी) आदि शामिल हुए।
यह जानकारी विज्ञप्ति के माध्यम से गजेन्द्र उरांव ने दी है।