कुँडुख़ (उराँव) भाषा शिक्षक पद सृजन के स्थान पर गलत तरीके से नागपुरी शिक्षक का पद सृजित किया गया है। जिसे निरस्त कर पुन: सर्वेक्षण कराने की मांग को लेकर दिनांक 09/07/2024 को गुमला विधायक एवं डी.सी. को ज्ञापन सौंपा गया। साथ ही कक्षा प्रथम से एम.ए. तक कुँडुख़ भाषा विषय की पढ़ाई- लिखाई तोलोंग सिकि से कराने को लेकर भी गुमला विधायक से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि कुँड़ख़ भाषा का संरक्षण के साथ तोलोंग सिकि का विकास आवश्यक है। विधायक ने आगे कहा कि कुँडुख़ भाषा का संरक्षण बहुत जरुरी है और सर्वे गलत हुआ है। पूर्व की सर्वे को निरस्त कर पुनः सर्वेक्षण कराने की जरूरत है। पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में बहुलता के आधार पर अथवा जिनका ज्यादा संख्या है उसके आधार पर पद सृजन किया जाना आवश्यक है। आदिवासी समाज प्रयासरत है कि कुँडुख़, संथाल, मुण्डा, हो, खड़िया, नागपुरी में से जिनका संख्या ज्यादा हो उसी भाषा शिक्षक का पद में बहाली किया जाए ।
एक ओर कुँडुख़ (उराँव) भाषा संरक्षण समन्वय समिति, झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष- अरविंद उराँव, सचिव- संजीव भगत, संयुक्त सचिव- विनोद भगत, सदस्य रतिया उराँव ने गुमला परिसदन में विधायक को ज्ञापन सौंप कर पुनः सर्वेक्षण कराने की मांग की गई।
वहीं दूसरी ओर 22 पड़हा के सदस्यगण- सुकरु उराँव, मंगरा उराँव, बिरसा उराँव के साथ जिला परिषद सदस्य- किरण माला बाड़ा, कांग्रेस कमिटी के जिला अध्यक्ष- चैतु उरांव ने गुमला डी.सी को ज्ञापन सौंप कर पुन: सर्वे कराने की मांग की गई। गुमला बाईस पड़हा के सदस्य व गुमला जिला के जिला परिषद सदस्य श्रीमती किरण माला बाड़ा एवं काग्रेंस पार्टी के जिला अध्यक्ष श्री चैतु उरांव ने गुमला जिला में कुँड़ुख भाषा विषय पर पद सृजन में भारी अनियमितता को लेकर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। उपायुक्त ने ज्ञापन प्राप्त करने के तुरंत आश्वासन दिये की गड़बड़ी को निरस्त कर के पुनः सर्वे कराकर कुँड़ुख़ भाषा विषय के लिए पद सृजन बढाया जाएगा। उपायुक्त ने सामाजिक स्तर से भी सर्वे करने के लिए बाईस पड़हा सदस्यों को योगदान देने के लिए कहें। श्री बिरसा उरांव ने बताया की आज कुँड़ुख़ भाषा को संर्पक भाषा के रुप में प्रयोग कर के नागपुरी भाषा को जगह देना कुँड़ुख़ भाषा को दबाने की साजिश है। जब झारखंड सरकार ने जनजातीय भाषा को बढ़ाने के लिए पद सृजन कर लोगों तक भाषा को पहुंचाने की काम कर रही है लेकिन आज कुँड़ुख़ भाषा को जगह नहीं देना चिंतनीय विषय है। श्री चैतु उरांव ने जानकारी देते हुए बताया कि गुमला जिला एक पाँचवी अनुसूची श्रेत्र में स्थित है और कुँड़ुख़ बहुल क्षेत्र है। यहाँ की भाषा उरांव समाज की पहचान है इन्हें आज जगह ना देना कहीं ना कही कुँड़ुख़ भाषा को दबाने की कोशिश किया जा रहा है। इस लिए गुमला जिला के सभी स्कूल में फिर से नामांकित आदिवासी उरांव छात्र/ छात्राओं की संख्या के अनुसार कुँड़ुख़ भाषा के लिए पद सृजन किया जाए। जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती किरण माला बाड़ा ने जानकारी देते हुए बताई की आज कुँड़ुख़ समाज से बड़े बड़े विद्वान पैदा हुए और पुरे भारत देश में कुँड़ुख़ भाषा में राजनीतिक कार्य से सामाजिक कार्य की पहचान दिलाने का काम किये ये गुमला धरती का सौभाग्य है। गुमला जिला को देश विदेश तक कुँड़ुख़ भाषा की अपनी पहचान है लेकिन वर्तमान में गुमला जिला में कुँड़ुख़ भाषा को जगह ना देना कुँड़ुख़ भाषा को हसिया पर ले जाने का षडयंत्र है। इस विषय पर उपायुक्त को ज्ञापन सौंप कर गड़बड़ी में संसोधन करते हुए कुँड़ुख़ भाषा के लिए पद सृजन करने की सिफारिश किया गया है। संसोधन नहीं होने पर अंदोलन करने की बातें कही उपायुक्त को ज्ञापन सौंपते पड़हा सदस्य श्री बिरसा उरांव, मंगरा उरांव व गुमला जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती किरण माला बाड़ा, गुमला जिला काँग्रेस के जिला अध्यक्ष श्री चैतु उरांव, एवं कई लोग उपस्थित थे।
रिपोर्टर-
अरविंद उराँव, अध्यक्ष
कुंडुख उराँव भाषा संरक्षण समन्वय समिति,
झारखंड प्रदेश