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संस्कृत, हिन्दी एवं कुँड़ुख़ भाषा का वर्णमाला : एक तुलनात्मक अध्ययन

यह आलेख कुँड़ुख़ भाषा की लिपि तोलोंग सिकि की वर्णमाला के साथ संस्कृत एवं  हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी की वर्णमाला के साथ एक तुलनात्‍मक अध्ययन है। इस लेख के माध्‍यम से कुँड़ुख़ भाषा की लिपि के संबंध में उठने वाले कई प्रश्‍नों के उत्‍तर को समझने का प्रयास है  

संस्कृत, हिन्दी एवं कुँड़ुख़ भाषा का वर्णमाला : एक तुलनात्मक अध्ययन

 

 

वैसे संस्कृत, हिन्दी एवं कुँड़ुख़ भाषा का वर्णमाला का तुलनात्मक अध्ययन एक जटिल विषय है फिर भी इन भाषाओं में उच्चरित ध्वनियों एवं इन ध्वनियों को लिखने के तरीकों को इस शीर्षक के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास है।

A. संस्कृत भाषा की देवनागरी लिपि का वर्णमाला :-   

   1.  स्वर वर्ण - अ आ इ ई उ ऊ ऋ लृ ए ऐ ओ औ अं अः

    मात्रा चिह्न -  ा   ि ी  ु  ू   ृ  ृ   े  ै  ो   ौ   ं   

   2.  व्यंजन वर्ण - क् ख् ग् घ् ङ् च् छ् ज् झ् ञ् ट् ठ् ड् ढ् ण् त् थ् द् ध् न् प् फ् ब् भ् म् य् र् ल् व् श् स् ष् ह् क्ष् त्र् ज्ञ् श्र्।

उच्चारण समय के अनुसार स्वर के 3 भेद हैं -      

   (क) हृस्व स्वर – अ  इ  उ   लृ (इकाई उच्चारण वाला / कम से कम उच्चारण
                                           समय वाला।)

   (ख) दीर्घ स्वर - आ, , , ऋृ (हृस्व से दोगुना उच्चारण समय वाला) तथा ए, , , औ जो संयुक्त स्वर है। उच्चारण समय के अनुसार इसे दीर्घ स्वर कहा जाता है। 

    (ग) प्लूत स्वर - अ३, इ३, उ३, ए३, ऐ३, ओ३, औ३, ऋ३, लृ३। (हृस्व से तीन गुना उच्चारण समय वाला)।   

वैदिक संस्कृत के उच्चारण में इन सभी स्वरों का उदात, अनुदात एवं स्वरित तीन रूप होता है तथा इन तीनों का अनुनासिक रूप भी होता है।

        इस प्रकार - हृस्व स्वर – 5 X 6 = 30

                   दीर्घ स्वर – 8 X 6 = 48

                   प्लूत स्वर – 9 X 6 = 54 ।

        कुल स्वर ध्वनियाँ - 30 + 48 + 54 = 132 (एक सौ बत्तीस)।

वर्तमान पाठन कार्य में वैदिक संस्कृत के सभी स्वरों का प्रयोग नहीं किया जाता है। परन्तु उदात एवं अनुदात स्वरूप का उच्चारण वैदिक मंत्रोचारण में होता है।

संस्कृत उच्चरण में व्यंजन वर्ण इस प्रकार हैं –

      (क) मूल व्यंजन वर्ण - क् ख् ग् घ् ङ् च् छ् ज् झ् ञ् ट् ठ् ड् ढ् ण् त् थ् द् ध्  
             
न् प् फ् ब् भ् म् य् र् ल् व् श् स् ष् ह्।

      (ख) संयुक्‍त व्यंजन वर्ण - क्ष् त्र् ज्ञ् श्र् ( क्ष = क् + ष् / त्र = त् + र् / ज्ञ = ज्   
       
+ ञ् / श्र् = श् + र् )।

इसके अलावे कई संयुक्ताक्षर भी है, जो साहित्यिक रूप से महत्वपूर्ण है।

 

B. हिन्दी भाषा की देवनागरी लिपि का वर्णमाला :-

       साहित्‍यकारों का मानना है कि हिन्दी भाषा, संस्कृत भाषा से निकली है तथा इसके विकास में लोक भाषाओं का समावेश है। इसके विकास का इतिहास लगभग 1000 वर्षों का है। कमोवेश हिन्दी भाषा में उच्चरित ध्वनि, संस्कृत में उच्चरित ध्वनि के समान ही है किन्तु संस्कृत में उच्चरित ध्वनियों में से कुछ ध्वनियाँ, हिन्दी में प्रयोग नहीं होती हैं तथा क्षेत्रीय प्रभाव के चलते कुछ वर्णों को अंगीकार किया गया है।

संस्कृत भाषा की देवनागरी लिपि का वर्णमाला :-

      1. स्वर वर्ण - अ  आ  इ  ई  उ  ऊ  ऋ  ए  ऐ  ओ  औ  अं  अः

      मात्रा चिह्न - ा  ि  ी  ु  ू  ृ  े  ै  ो  ौ  ं  : 

      2. व्यंजन वर्ण - क् ख् ग् घ् ङ् च् छ् ज् झ् ञ् ट् ठ् ड् ढ् ण् त् थ् द् ध् न् प्
                               फ् ब् भ् म् य् र् ल् व् श् स् ष् ह् क्ष् त्र् ज्ञ् ड़् ढ़् श्र्।

ध्यातव्य:-
(क) हिन्दी में
, संस्कृत का लृवर्ण का व्यवहार नहीं होता है।                 
(ख) हिन्दी के लिए, संस्कृत वर्णमाला में ड़ एवं ढ़ जोड़ा गया है।  
(ग) हिन्दी में, उर्दू-अरबी एवं कई अंगरेजी शब्दों को लिखने के लिए  देवनागरी लिपि के अक्षरों के नीचे डट (तलविन्दु) चिह्न देकर लिखा जाता है। जैसे - ख़ब़र, ग़ब्बर, ब़ाज़ार, व़ज़ीर, व़ेल, आदि।
(घ) हिन्दी में अंगरेजी शब्दों के कई ध्वनियों को लिखने के लिए देवनागरी लिपि के अक्षरों के उपर (चांद) चिह्न देकर लिखा जाता है। जैसे - कलेज, , क्टर आदि।

 

C. कुँड़ुख़ भाषा की तोलोङ सिकि (लिपि) वर्णमाला (तोड़पाब) :-          

        कुँड़ुख़ भाषा, उतरी द्रविड़ भाषा परिवार की भाषा है। यह, संस्कृत के समान एक प्राचीन भाषा है। इस भाषा को बोलने वाले उराँव आदिवासी एवं अन्य लोग भारत एवं भारत देश से बाहर बंगलादेश, नेपाल, भूटान आदि में लगभग 50 लाख है। वर्ष 2003 में झारखण्ड सरकार ने तोलोङ सिकिलिपि को कुँड़ुख़ भाषा की लिपि के रूप में स्वीकार किया और इसके माध्यम से कई विद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई हो रही है तथा इस लिपि के माध्यम से वर्ष 2009 से मैट्रिक में कुड़ुख़ भाषा विषय की परीक्षा लिखी जा रही है।

कुँड़ुख भाषा की तोलोङ सिकि (लिपि) वर्णमाला (तोड़पाब):-

1. सरह तोड़ (स्वर वर्ण) - i e u o a A  (इ, , , , , आ)।

2. हरह तोड़ (व्यंजन वर्ण) - p P b B m q Q w W n t T d D N c
C j J Y k K g G X y r l v V s h x z Z  (प फ् ब् भ् म त् थ् द् ध् न् ट् ठ् ड् ढ् ण् च् छ् ज् झ् ञ् क् ख् ग् घ् ङ् य् र् ल् व् ञ़् स् ह् ख़् ड़् ढ़्)।

उच्चारण समय के अनुसार स्वर के भेद इस प्रकार हैं -

(क) सन्नी सरह (हृस्व स्वर) - i e u o a A (इ      आ)।

(ख दिगहा सरह (लम्बा स्वर - i: e: u: o: a: A: (इः  एः  उः ओः अः ओः)।   

(ग) मुईता सन्नी सरह (नासिक्‍य हृस्व स्वर) - iE eE uE oE aE AE  (इँ एँ उँ ओं अँ आँ)।

(घ) मुईता दिगहा सरह (नासिक्‍य लम्बा स्वर) - iE: eE: uE: oE: aE: AE: (इँ:  एँ:  उँ:  ओं: अँ: आँ:)।

ध्यातव्य:-
(क) कुँड़ुख़ भाषा में ड़् ढ़् ख़् एवं ञ़् का प्रयोग बहुतायात है। इसलिए इन ध्वनियों के लिए लिपि चिन्ह निर्धारित हैं। 
(ख) कुँड़ुख़ भाषा में संस्कृत की तरह अर्द्धस्वर अ अथवा व्यंजन अ
घ्वनि का उच्चारण बहुतायात में होता है। अतएव इसके लिए हेचका ध्वनि (I) चिन्ह निर्धारित है।
(ग) कुँड़ुख़ वर्णमाला में संस्कृत-हिन्दी के शब्दों को लिखने के लिए अक्षरों के उपर डबल डट (दो विन्दु) चिह्न देकर लिखा जाता है। जैसे - sIatkoN  (षटकोण), sUesI (शेष), BAsIA (भाषा) आदि।  

(घ) कुँड़ुख़ वर्णमाला में उर्दू-अरबी के शब्दों को लिखने के लिए अक्षरों के नीचे डबल डट (दो तलविन्दु) चिह्न देकर लिखा जाता है। जैसे - gUajUal  (ग़ज़ल), bUAjUAj  (ब़ाज़ार), vUajUir  (व़ज़ीर) आदि।  
(ङ) कुँड़ुख़ वर्णमाला में अंगरेजी शब्दों के ध्वनियों को लिखने के लिए अक्षरों के उपर (चांद) चिह्न देकर लिखा जाता है। जैसे - kAFlej  (कलेज), bAFl  (बल), dAFktar  (डक्टर) आदि।

उपसंहार:-

1. संस्कृत भाषा के, अर्द्धस्वर अ ध्वनि के समान ही कुँड़ुख़ भाषा में एक ध्वनि उच्चरित होती हैं जिसे अंगरेजी में Glotal Stop कहा जाता है। तोलोङ सिकि में इसे हेचका (।) चिहन से लिखा जाता है। यहां पर इस ध्वनि के लिए अ चिन्ह दिया गया है। जैसे:- ciHnA  (चिअ़ना) - देनाneHnA  (नेअ़ना) - मांगना, hoHnA  (होअ़ना) - ले जाना, baHnA  (बअ़ना) - बोलना आदि।

2. संस्कृत भाषा की देवनागरी लिपि के वर्णों में से  क्ष, त्र, ज्ञ, , , श्र, , लृ वर्ण, तोलोङ सिकि वर्णमाला में नहीं है अर्थात कुँड़ुख़ भाषा में इन ध्वनियों का उच्चारण नहीं होता है, किन्तु लिप्यन्तरण में विशेष चिन्ह देकर लिखे जाते हैं।

3. तोलोङ सिकि वर्णमाला में देवनागरी लिपि का ऐ एवं औ वर्ण के लिये अलग अक्षर नहीं है। इसे संयुक्त अक्षर मानकर ae (ए) तथा ao (औ) की तरह लिखा जाता है।

4. संस्कृत अथवा हिन्दी में आ, ए एवं ओ दीर्घ या संयुक्‍त स्वर है किन्तु कुँड़ुख़ भाषा में इन तीनों स्वरों का हृस्व एवं लमबा रूप होता है।

5. कुँड़ुख भाषा में संस्कृत के दीर्घ स्वर से अधिक लम्बा, लगभग हृस्व स्वर के उच्चारण समय से ढाई गुणा लम्‍बा रूप होता है। जैसे:- बोलो - बोःलो, कालो - काःलो, एड़पा - एःड़ा, ओसगा - ओःसा आदि। इसे दिखलाने के लिए IPA (International Phonetic Alphabet) का Symbol of long phone (:) चिन्ह के द्वारा चिन्हित किया गया है।

संदर्भ ग्रंथ : -
1
. लघुसिद्धांतकमौदी — 116‚ गीता प्रेस‚ गोरखपुर।
2. भाषा विज्ञान डॉ दानबहादुर पाठक वर एवं डॉ मनहर गोपाल भार्गव
3. भाषा विज्ञान डॉ भोलानाथ तिवारी
4. Kurukh Phonetic Reader – Dr. Francis Ekka, CIIL, Serise-9.
5. आधुनिक कुडु व्‍याकरण डॉ नरायण भगत एवं डॉ नारायण उरांव

 

आलेख — 0 (श्रीमती) ज्योति टोप्पो उराँव
             सहायक प्राध्यापक
(संस्कृत), स्सनर कलेज, राँची

           श्री भुनेश्वर उराँव,
             सहायक शिक्षक, जतरा टाना भगत विद्यामंदिर बिशुनपुर, घाघरा।

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