दिनांक 01 मई 2022, दिन रविवार को आदिवासी उराँव समाज समिति, बिरसा नगर, जोन न०-6, जमशेदपुर में ‘‘कुँड़ुख़ व्याकरण की पारिभाषिक शब्दावली‘‘ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुआ। यह कार्यशाला, टाटा स्टील फाउण्डेशन, जमशेदपुर के तकनीकि सहयोग से संचालित ‘‘कुँड़ुख़ (उराँव) भाषा एवं लिपि शिक्षण कार्यक्रम‘‘ का अग्रेतर क्रियान्वयन था। इस कार्यशाला में आदिवासी उराँव समाज समिति, बिरसा नगर के पदधारी सहित माध्यामिक विद्यालय के छात्रगण एवं कालेज के छात्र उपस्थित थे। कार्यशाला का शुभारंभ समिति के अध्यक्ष श्री बुधराम खलखो के आशीर्वचन से हुआ।
‘कुँड़ुख़ व्याकरण की पारिभाषिक शब्दावली‘ विषय पर परिचर्चा के लिए अद्दी कुँड़ुख़ चाला धुमकुड़िया पड़हा अखडा़ (अद्दी अखड़ा), झारखण्ड, राँची, संस्था के संयोजक डॉ० नारायण उराँव द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस व्याख्यान में डॉ० बिन्दु पहान एवं भाषा-लिपि शिक्षण केन्द्र की शिक्षिका सुश्री गीता कोया एवं सुश्री भवानी कुजूर सहयोगी रहीं।
टाटा लौह नगरी, जैसे औद्योगिक शहर के बिरसा नगर, कॉलोनी में एक समूह अभी भी अपनी भाषा, संस्कृति एवं लिपि सीखने-सिखाने के लिए प्रयासरत है। इस कार्यषाला में उपस्थित छात्र-छात्राओं ने इस विषय को ध्यान पूर्वक सुना और इसे अपने जीवन में उतारते हुए अपनी शिक्षा तथा प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल किये जाने की घोषणा की। समिति की ओर से श्री प्रकाश कोया के धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात कार्यशाला समाप्त हुआ।
कुँड़ुख़ भाषा एवं तोलोंग सिकि (लिपि) प्रेमियों के लिए ‘कुँड़ुख़ व्याकरण की पारिभाषिक शब्दावली‘ का पी०डी०एफ० रूप प्रस्तुत है। जरूर देखें -