आज दिनांक 02/07/2024 को अद्दी कुँड़ुख चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रांची संस्था के द्वारा कुँड़ुख विभाग, रांची विश्वविद्यालय (जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय ) के विभाग अध्यक्ष डॉ नारायण भगत महोदय को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें कुँड़ुख भाषा की लिपि तोलोंग सिकी में पठन-पाठन आरंभ करने तथा विषयवार परीक्षा होने की बात रखी गई। उरांव/कुँड़ुख समुदाय की अपनी विशिष्ट कुँड़ुख भाषा और विशिष्ट लिपि तोलोंग सिकि है। जिसे झारखंड सरकार ने वर्ष 2003 और पश्चिम बंगाल सरकार ने वर्ष 2018 में मान्यता प्रदान की है।
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पारंपरिक शिक्षा की संरक्षण तथा संवर्धन के लिए नए प्रावधान लाए गए हैं। अतिरिक्त में यह भी कहा गया कि यदि आदिवासी समाज की मांग पर यथोचित निर्णय नहीं लिया गया तो समाज के लोग विभाग के विरुद्ध आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
ज्ञात हो कि स्कूली बच्चे अपने कुँड़ुख भाषा- तोलोंग सिकि लिपि में पढ़ाई -लिखाई कर रहे हैं और मैट्रिक- इंटर की बोर्ड परीक्षाएं दे रहे हैं (वर्ष 2009, 2016 अधिसूचना से झारखंड सरकार ने मान्यता प्रदान की है)। विश्वविद्यालय स्तर पर वर्तमान में देवनागरी लिपि के साथ तोलोंग सिकि लिपि में परीक्षा लिखना चाहते हैं। अभिभावकों ने भी यह चिंता जाहिर की है भाषा- लिपि भविष्य के शिक्षकों को शिक्षा मार्गदर्शन न की जाए तो यह साहित्य रचना में खरे नहीं उतर पाएंगे। इन छात्रों को अनुमति देने के लिए सरकारी प्रावधान अनुसार कुँड़ुख भाषा एवं तोलोंग सिकी लिपि जानने वाले शिक्षकों की आवश्यकता है जो शिक्षण के साथ उत्तर पुस्तिकाएं जांच कर परीक्षाफल जारी कर सके। गत कई वर्षों से इस संबंध में प्रयास होने के बावजूद विश्वविद्यालय कुँड़ुख विभाग द्वारा असमर्थता जताई जा रही है। आदिवासी समाज की निराशा है कि स्कूली बच्चों को कौन पढ़ाएगा? यह सुझाव भी सामने आया कि बी०ए और एम० ए के छात्र-छात्राएं तथा शोधार्थी अपनी भाषा- लिपि- संस्कृति के विकास में स्कूलों में भी अपना योगदान दे। यूनिवर्सिटी के छात्र ही भाषा लिपि से दूर भागेंगे तो बच्चों के मस्तिष्क तक उचित पठनीय सामग्री पहुंचाएगा कौन? आदिवासी भाषा- लिपि की संपूर्ण जानकारी नहीं होने पर यह हमारा पिछड़ापन का कारण भी बनता जा रहा है।
विभागीय अनुमति मिलने पर आवश्यकतानुसार बी० एड प्रशिक्षित सामाजिक ‘तोलोंग सिकि’ लिपि विशेषज्ञों व उरांव समाज के महानुभावों शुभचिंतकों द्वारा विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण व कार्यशालाएं आयोजित की जाएगी। विश्वविद्यालय कुँड़ुख विभाग में ज्ञापन देने के लिए तीन सदस्यों द्वारा उपस्थिति में डॉ विनीत कुमार भगत, रमेश उरांव और नीतू साक्षी टोप्पो थे।
रिपोर्टर -
नीतु साक्षी टोप्पो
एम एससी बायोटेक्नोलॉजी
धुमकुड़िया पेल्लो कोटवार, अद्दी अखड़ा संस्था, रांची।