दिनांक- 08/09/2024, दिन- रविवार को बसिया के स्कुली शिक्षकों ने अद्दी कुँडुख चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, संस्था के चिरौंदी स्थित कार्यालय में आकर एक दिवसीय प्रशिक्षण ली। यह प्रशिक्षण प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए विशेष कुँड़ुख भाषा और तोलोंग सिकि लिपि पर हूई। अन्य विषय जैसे गणित, बाल कविताएं (चिंचो डण्डी), धुमकुड़िया का पाठ्यक्रम, भाषा विज्ञान, घड़ी की विपरीत दिशा का कुँड़ुख़ कबिले में महत्व आदि पर भी चर्चा हुई। डॉ नारायण उरांव की उपस्थिति में कार्यशाला हूई जिसका उद्देश्य आदिवासियत को बढ़ाने, कुँड़ुख भाषा- संस्कृति को बचाने और स्कुलों में तोलोंग सिकि लिपि से पढ़ाई-लिखाई करना है। सभी उपस्थित बसिया के जनप्रतिनिधि काफी उत्साहित नजर आए। उनसे बातचीत करने पर उन्होंने चिंता जाहिर की नई पीढ़ी को कुँड़ुख भाषा-लिपि धरोहर के रूप में सौंपने में असमर्थता हमारी सबसे बड़ी भूल साबित होगी। इसके लिए सभी को आदिवासी संस्कृति आधारित तोलोंग सिकि लिपि में लेखनी अभ्यास करना जरूरी है। अद्दी अखड़ा संस्था की ओर से अध्ययन के लिए उपस्थित प्रशिक्षुओं को भेंट स्वरूप कुँड़ुख पुस्तकें, पत्रिकाएं, तोलोंग सिकि वर्णमाला चार्ट इत्यादि दी गई।
प्रशिक्षण में बसिया क्षेत्र से शामिल होने वाले शिक्षक एवं सदस्यों के नाम क्रिस्टीना कुजुर, बिमला मिंज, दिव्याना लकड़ा, एडिथ मिंज, जॉन मिंज और रितेश मिंज है।
रिपोर्टर:
नीतु साक्षी टोप्पो
पेल्लो कोटवार, धुमकुड़िया
अद्दी अखड़ा संस्था रांची।