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जनजातीय शिक्षक पद सृजन को लेकर कुड़खर प्रतिनिधियों ने लोहरदगा सांसद और मांडर विधायक को ज्ञापन सौंपा

दिनांक 10 जुलाई 2024 को मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की से मिलकर कुड़ख़र समाज के प्रतिनिधियों ने कुँडुख शिक्षक पद सृजन विषय को लेकर ज्ञापन सौंपा। विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने प्रतिनिधियों से कहा की कुँड़ुख बहुल क्षेत्र में कुँड़ुख भाषा का ही शिक्षक होना चाहिए और उन्हें पूरा विश्वास है कि उरांव समाज की संख्या अधिक है। इसके साथ ही उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री से भेंट करने की भी सलाह दी। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार के दिन भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई है। इस मौके पर मुख्य रूप से  कुँडुख उराँव भाषा संरक्षण समन्वय समिति, झारखंड प्रदेश के  अध्यक्ष अरविंद उराँव, सचिव संजीव भगत,

गुमला विधायक एवं डी.सी को कुँड़ख़ भाषा का संरक्षण को लेकर कुँडुख़र प्रतिनिधियों ने ज्ञापन सौंपा

कुँडुख़ (उराँव) भाषा शिक्षक पद सृजन के स्थान पर गलत तरीके से नागपुरी शिक्षक का पद सृजित किया गया है। जिसे निरस्त कर पुन: सर्वेक्षण  कराने की  मांग को लेकर  दिनांक 09/07/2024 को  गुमला विधायक एवं डी.सी. को ज्ञापन सौंपा गया। साथ ही कक्षा प्रथम से एम.ए.

दो दिवसीय कुँड़ुख़ प्रशिक्षण कार्यक्रम साल्ट लेक कोलकाता में हुआ सम्पन्न, तोलोंग सिकि लिपि बनी माध्यम

दिनांक- 26 से 27 जून 2024 तक दो दिवसीय कुँड़ुख़ प्रशिक्षण कार्यक्रम साल्ट लेक, कोलकाता के सिधु-कान्हु भवन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, आदिवासी विकास विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार के द्वारा आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के बर्धमान, बीरभूम तथा हुगली जिले से कुल 28 उरांव प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रूप से कहानी- लेखन तथा वार्तालाप- लेखन पर जोर दिया गया था और वह भी तोलोंग सिकि के माध्यम से। कार्यक्रम का उद्घाटन मैडम लामा आइ ए एस के द्वारा किया गया और साथ में उपस्थित थे डायरेक्टर कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा

कुँडुख़ (उराँव) भाषा शिक्षक पद सृजन में भारी गड़बडी, सर्वे निरस्त कर पुन: सर्वे कराने की मांग

झारखंड सरकार की ओर से पहली बार आदिवासी/ जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा शिक्षक बहाल करने जा रही है।  सरकार चाहती है कि आदिवासी भाषाओं का विकास, संरक्षण एवं संवर्धन हो। पिछले दिन आदिवासी भाषा शिक्षक पद सृजन करने के लिए सर्वे किया गया। जिसमें सर्वे नीति सही नहीं होने के कारण प्राथमिक/ मध्य विद्यालय के प्रधानाचार्य के द्वारा गलत तरीके से विद्यालय में कुँडुख़/ उराँव बच्चों का नामांकन अधिक होने के बावजूद कुँडुख़/ उराँव बच्चों को ही नागपुरी बच्चों की संख्या दिखाकर एवं बच्चों के द्वारा व्यवहार की जाने वाली सादरी बोली को आधार बनाकर नागपुरी भाषा पद का सृजन किया गया है। +2 उच्च विद्यालय एवं कक्षाएं 9-10 म

कुँडुख़ (उराँव) भाषा शिक्षक पद सृजन-सर्वे में भारी गड़बड़ी, सुधार नहीं हुआ तो कुँडुख़ समाज आंदोलन करने के लिए हो जाएगा बाध्य

आदिवासियों की विलुप्त होती कुँडुख़, मुण्डा, हो, खड़िया आदि भाषा को बचाने के लिए सरकार ने प्राथमिक/ मध्य विद्यालय स्तर पर भाषा शिक्षक बहाली कराने का निर्णय लिया है। यह निर्णय सराहनीय है। लेकिन वहीं पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के गुमला जिला के भरनो प्रखंड को छोड़कर, गुमला जिला के शेष सभी प्रखंडो में कुँडुख़ ( उराँव ) भाषा-पद सृजन में भारी गड़बड़ी किया गया है जिसने कुँडुख़ समाज की नींद उड़ा दी है। झारखंड सरकार की उचित नीति न होने के कारण प्राथमिक/ मध्य विद्यालय के  प्रधानाचार्य के द्वारा कुँडुख़/उराँव बच्चों का नामांकित संख्या विद्यालय में अधिक होने के बावजूद कुँडुख़ के स्थान पर नागपुरी का पद सृजि

विश्वविद्यालय कुँडु़ख विभाग को तोलोंग सिकि लिपि पर पठन-पाठन करने हेतु ज्ञापन सौंपा गया

आज दिनांक 02/07/2024 को अद्दी कुँड़ुख चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रांची संस्था के द्वारा कुँड़ुख विभाग, रांची विश्वविद्यालय (जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय ) के विभाग अध्यक्ष डॉ नारायण भगत महोदय को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें कुँड़ुख भाषा की लिपि तोलोंग सिकी में पठन-पाठन आरंभ करने तथा विषयवार परीक्षा होने की बात रखी गई। उरांव/कुँड़ुख समुदाय की अपनी विशिष्ट कुँड़ुख भाषा और विशिष्ट लिपि तोलोंग सिकि है। जिसे झारखंड सरकार ने वर्ष 2003 और पश्चिम बंगाल सरकार ने वर्ष 2018 में मान्यता प्रदान की है। 

राउरकेला  में प्रथम धुमकुड़िया का दो दिवसीय सफल आयोजन, डॉ नारायण उरांव "सैंदा" ने युवाओं को प्रेरित किया

नेड्डा -29/06/2024 से 30/06/2024 को दो दिवसीय करियर काउंसलिंग कार्यक्रम के आयोजक:- सरना प्रार्थना सभा, उड़ीसा द्वारा सरना चौक निकट धुमकुड़िया भवन, उदितनगर, राउरकेला में  आयोजन हुआ। कुंडुख समाज कैसे बचेगी?  इसी सवाल का जवाब में- विलुप्त होती अपनी मातृभाषा कुंडुख़, पड़हा, धुमकुड़िया, अखड़ा, सारना (अध्यात्म स्त्रोत- सरना प्रार्थना सभा) सरना धरम, ने-ग चार,  कुंडुख़ संस्कृति आदि का संरक्षण ,संवर्धन एवं विकास के लिए उरांव कुँडुख़ समुदाय क्या कर रही है?

श्रद्धेय बाबा विजय उरांव के जन्मदिवस पर कुंड़ुख़ भाषा विभाग में साहित्य संगोष्ठी सम्पन्न

श्रद्धेय बाबा विजय उरांव को उनके जन्मदिवस पर उनकी जिया (आत्मा) को शत शत नमन। आज दिनांक 01 जुलाई 2024 को आयोजित बाबा FC विजय उरांव के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित साहित्य संगोष्ठी के लिए विश्वविद्यालय कुंड़ुख़ विभाग परिवार को डॉ नारायण उरांव की से हार्दिक आभार एवं बधाई।
इस अवसर में आप सबों के आमंत्रण पर मैं सशरीर उपस्थित नहीं हो सका, इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं और दूर से ही आप सभी आयोजकों की अनुमति से बाबा विजय उरांव की कृति के बारे में, चन्द शब्द के रूप में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहता हूं।

उरांव समाज प्रतिनिधि मंडल ने तोलोंग सिकि लिपि को विवि में लागू कराने हेतु राज्‍यपाल के समक्ष रखी मांग

दिनांक 26.06.2024 दिन बुधवार को 03.00 बजे अपराहन 05  उरांव आदिवासी,अपनी मातुभाषा कुंड़ुख एवं कुंड़ुख़ की लिपि तोलोंग सिकि के संरक्षण तथा संवर्द्धन के लिए महामहीम राज्‍यपाल,झारखण्‍ड से मिले ।  प्रतिनिधि मण्‍डल का नेतृत्‍व सुश्री नीतू साक्षी टोप्‍पो , पेल्‍लो कोटवार, अद़दी अखड़ा, रांची द्वारा किया गया। इस प्रतिनिधि मण्‍डल में साहित्‍यकार सह साहित्‍य अकादमी, नई दिल्‍ली के सदस्‍य श्री महादेव टोप्‍पो , तोलोंग सिकि लिपि के संस्‍थापक डा0 नारायण उरांव, पड़हा देवान लोहरदगा श्री संजीव भगत, कुंड़ुख स्‍कूल मंगलो के प्राधानाचार्य श्री अरविन्‍द उरांव एवं सुश्री नीतू साक्षी टोप्‍पो  द्वारा प्रतिनिधित्‍व क

धुमकुड़िया को जीवित करने के लिए मौसम अनुसार रागों में गीतों का अभ्यास जरूरी : डॉ नारायण उरांव “सैन्दा”

धुम-ताअ़+कुड़ियां = धमकुड़िया शब्द बना है।  धुमकुड़िया उरांव आदिवासी गांव में एक पारंपरिक सामाजिक पाठशाला सह कौशल विकास केंद्र है। दादा-दादी या नाना-नानी अपने पोते-पोतियों, नाती को बुलाकर उन्हें गायन-नृत्य-वादन सीखने देते हैं। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि वह प्रणाली या वातावरण जहाँ बच्चे गाना-नाचना और खेल-खेल में पारंपरिक अभ्यास करना सीखते हैं।  टीम धूमकुड़िया, रांची क्या कार्य करती है?