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धुमकुड़िया का  उद्घाटन : दिनांक  16/06/2024 : स्थान :- आताकोरा लेटंगा टोली, भरनो

भरनो :-आताकोरा लेटंगा टोली  के युवाओं  ने  विलुप्त होती कुंडुख़  भाषा संस्कृति  की संरक्षण  एवं  संवर्धन  करने  के उद्देश्य  से  श्रम दान कर  एक धुमकुड़िया  का नव निर्माण  किया है ।  धुमकुड़िया नव निर्मित करने के बाद  में  एक विशेष नेग ,पूजा-अनुष्ठान- डण्डा कट्टना  किया  जाता है ।  दिनांक  16/06/2024 को  आताकोरा लेटंगा टोली  के नव निर्मित धुमकुड़िया में डण्डा कट्टना/धुमकुड़िया बेंज्जा (उद्घाटन) कार्यक्रम  सम्पन्न हुआ। विलुप्त होती कुँडुख़ भाषा सांस्कृति एवं  कुँडुख़ भाषा  की अपनी लिपि  तोलोंग सिकि का  संरक्षण एवं संवर्धन कार्य से जुड़े  कुँडुख़ समाज के  पहान पुजार ,महतो ,पड़हा - बेल ,दिवान

परम्‍परागत ग्रामसभा पड़हा बिसुसेन्‍दरा, गुमला मण्‍डल 2024

भारतीय संसद द्वारा पारित पेसा कानून 1996 (PESA ACT 1996 ) के Section 4(d) के तहत दिनांक 18 एवं 19 मई 2024 दिन शनिवार एवं रविवार को 9 पड़हा गांव, 7 पड़हा गांव एवं 6 पड़हा गांव, कुल 22 गांवों की सभा (22 गाव का पड़हा बैठक) द्वारा अपनी रूढ़ी-परम्परा के अनुसार ‘‘परम्परागत ग्रामसभा पड़हा बिसुसेन्दरा, सिसई-भरनो’’ का आयोजन किया गया। परम्परागत कुँड़ुख़ समाज द्वारा आयोजित यह परम्परागत ग्रामसभा पड़हा बिसु सेन्दरा का 2 दिवसीय वार्षिक अधिवेशन, ग्राम : सैन्दा, थाना : सिसई, जिला : गुमला में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन का संयोजन  परम्परागत गांव सभा के पंच्चों में से पड़हा बिसुसेन्दरा बेल - श्री दशरथ भगत, कुहाबेल - श्री जुब

कार्तिक उरांव आदिवासी कुँड़ुख स्कूल मंगलो, सिसई में  खद्दी परब (सरहुल परब) धुमधाम से मनाया गया

गुमला जिले के कुड़ुख़ भाषी क्षेत्र के मंगलो ग्राम में स्थित कार्तिक उरांव आदिवासी कुँड़ुख स्कूल मंगलो,सिसई के श‍िक्षकों तथा छात्रों द्वारा अपनी भाषा-संस्कृति को बचाने के लिए विशेष पहल करते हुए अनोखे अंदाज में खद्दी पर्व मनाया गया। इस वर्ष का नया अंदाज यह था कि - विलुप्त होते प्राचीन गीतों का षोध-अनुसंधान कर पुनः कुँड़ुख भाषा में पारंपरिक रूप में मांदर-नगाड़ा के साथ लोगों ने सामूहिक प्रस्‍तुतिकरण किया।  इसके लिए छात्रों द्वारा शिक्षकों की देखरेख 01 महीने से शनिवार को अपराहृन में अभ्‍यास किया करते थे। इस वर्ष बच्‍चों के प्रस्‍तुति को देखकर बुजूर्ग उत्‍साहित एवं खुश हुए।

परम्परागत आदिवासी समाज और डिलिस्टिंग विषयक राजनीति

श्री गजेन्द्र उरांव उर्फ नाना जी उम्र 70 वर्ष थाना सिसई जिला गुमला के रहनेवाले एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। स्कूली शिक्षा में बे 9वीं पास हैं। उनका कहना है कि बचपन में उनके माता पिता स्कूल न भेजकर, बैल-बकरी चराने के लिए भेजते थे। इस कार्य में उनका दिल नहीं लगता था। तब वे बड़े भाई के साथ बोकारो के कोयला खादान में काम करने चले गए। वहां कई साल रहे पर वहां भी खादान के काम में भी मन नहीं लगा। फिर वे वापस गांव चले आए। गांव आकर अपने से 5-6 वर्ष छोटे उम्र के साथियों के साथ गांव के यू0पी0 स्कूल,सैन्दा (सिसई,गुमला) में नामांकन कराये। वहां 5वीं तक पढ़ाई करने के बाद वे राजकीय मध्य विद्यालय,सिसई में दाखिला

झारखंड में घुसपैठियों के आतंक पर परिचर्चा संपन्‍न आदिवासियों की जमीन और बेटियों की आबरू लूट का मसला

रांची: झारखंड के आदिवासी इलाकों में घुसपैठियों का आतंक बढ़ता जा रहा है। घुसपैठिये आदिवासियों की जमीन ही नहीं लूट रहे आदिवासी बेटियों की आबरू से लेकर उनकी तस्‍करी तक कर रहे हैं। इसी प्रसंग में विगत रविवार यानी 24 मार्च 2024 को शाम साढ़े सात से साढ़े नौ बजे तक एक परिचर्चा का आयोजन संपन्‍न हुआ। विषय था: "झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सरहद पार घुसपैठियों द्वारा जमीन और बेटियों की मची लूट पर रोकथाम की पहल "

Kurukh Training Session at Kolkata

Refresher Training program on kurukh Language, 2024 was held from 19.03.2024 to 20.03.2024. This training program was organised by Cultural Research Institute, Kolkata, Govt of West Bengal in collaboration with Kurukh Literary Society of India Kolkata Chapter and this was sponsored by Tribal Development Department, Govt of WB. This program was held at Sidhu Kanu Bhavan, Salt Lake, Kolkata. In this program 32 Kurukh trainees participated from all over South Bengal who were previously participated in the primary level training program.

अंतर्राष्ट्रीय धावक बुधवा उरांव को अद्दी अखड़ा रांची की ओर से श्रद्धांजलि

पूर्व अंतर्राष्ट्रीय धावक बुधवा उरांव नही रहे लम्बे समय तक उन्होंने एथेलेटिक्स में देश और दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व किया वर्ष 1985 में मास्को में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में 800 मीटर के दौड़ में आभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए भारत को पदक दिलाया था 1986 के ओलम्पिक क्वालीफायर में 800 मीटर के दौड़ में तकनीकी के कारण ओलम्पिक में डिसक्वालीफाई कर गए थे ।1986 के ही एशियन गेम्स में 800 मीटर के दौड़ में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता । फिर वर्ष 1987 ढाका में आयोजित साउथ एशियन गेम्स 800 मीटर दौड़ में नया राष्ट्र रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता ।। वर्ष 1989 में कनाडा में आयोजित वर्

रांची विश्‍वविद्यालय पाठ्यक्रम में कुंड़ुंख भाषा व तोलोंग सिकि को शामिल करने पर सहमति नहीं बनी

रांची: कुंड़ख भाषा एवं इसकी लिपि 'तोलोंग सिकि' को विश्‍वविद्यालय स्‍तर के पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने को लेकर उद्वेलित  कुंड़ुख भाषा-भाषी समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दिनों रांची विश्‍वविद्यालय के कुलपति से भेंट की। कुलपति ने विषय को गंभीरता से लेते हुए एक मार्च 2024 का दिन तय किया और प्रतिनिधिंडल को बताया कि उस दिन कुंड़ुख समाज के लोग एवं विद्यार्थी तथा क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा विभाग के शिक्षाविदों के बीच इस विषय पर एक बैठक होगी। तय समय पर हुई इस बैठक में कुड़ुख भाषा एवं उसकी लिपि तोलोंग सिकि को विश्‍वविद्यालय पाठ्यक्रम में शामिल करने पर कोई निर्णय नहीं हो पाया। इसमें क्षेत्रीय एव

कुंड़ुंख भाषा की लिपि तोलोंग सिकि को बीए/एमए में शामिल करने हेतु Ranchi Univ के VC से मिला आदिवासी प्रतिनिधिमंडल

BA एवं MA के कुँडुख़-भाषा विषय के पाठ्यक्रम में कुँडुख़ भाषा की लिपि तोलोंग-सिकि को शामिल कराने तथा पठन- पाठन कराने के लिए  पारंपारिक स्वशासन पड़हा व्यवस्था गुमला, लोहरदगा, रांची के बेल राजाओं एवं सदस्यों ने कुलपति, रांची विश्वविद्यालय (रांची) से मुलाकात की। कुलपति महोदय ने अपनी व्‍यस्‍तता के बावजूद काफी समय निकाल कर प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की। कुलपति महोदय ने बताया कि महामहिम राष्‍ट्रपति के झारखंड आगमन को लेकर उनकी व्‍यस्‍तता काफी बढ़ी हुई है। बावजूद इसके कुलपति ने यह आश्‍वासन जरूर दिया कि वह जल्‍द ही पुन: इस प्रतिनिधिमंडल के साथ 01 मार्च को बातचीत करके मामले का समाधान निकाल लेंगे। हालांकि

क्‍या हेमन्‍त सरकार आदिवासी भाषाओं के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया रखती है?

रांची: झारखंड के आदिवासी चाहते हैं कि उनके बच्‍चों को अंग्रेजी, हिन्‍दी के अलावा अपनी मातृभाषा (आदिवासी) भी पढ़ना अनिवार्य किया जाए। जबकि झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग ने एक अधिसूचना जारी करके आदिवासी समाज में उबाल जा दिया है। इस बाबत आदिवासियों की चर्चित स्‍वयंसेवी संस्‍था 'अद्दी अखड़ा (अद्दी कुंड़ुख चा:ला धुमकुडि़या पड़हा अखड़ा)' ने मुख्‍यमंत्री को एक पत्र लिखकर तुरंत मध्‍यस्‍तता की मांग की है।