कुद्दोय न बेद्दोय ओक्कोय न ख़क्खोय ,पुरखर घी आ:इनका कत्था। हम सभी कुँडुख़ समुदाय को उन्हे कुँडुख थिंकर की उपाधि देनी चाहिए। उपाधि हमारे कुँडुख भाषा को उंचाई तक ले जाने में एक साथी रुप में प्रस्तुत होगा। कभी कभी मैं आश्चर्यचकित हुआ हूँ कि सुनने में मार्ग दर्शन-भार जैसे फिलिंग हुई। लेकिन बताए मार्ग पर चलना बिल्कुल आसान था, ज्ञानप्रद, आनंदमय और शिक्षाप्रद था, वह मेरे लिए एक प्रेरणास्रोत बन कर उभर रहे हैं। यह लम्बे वक्त का अनुभव है।
डॉ. नारायण उराँव ने मुझसे कहा था कि कुँडुख भाषा, लिपि का संरक्षण एवं संवर्धन कुँडुख़ स्कूल से ही संभव है अरविंद ! और इसे बेहतर के लिए बोर्डिंग स्कूल करना होगा। यह बात तब जीवित लगा जब हमलोग शैक्षणिक भ्रमण में थे। -
1. कार्तिक उराँव के जन्म दिवस पर शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन था । लिटा टोली में कार्तिक उराँव का भवन, स्टेच्यू,मसड़ा आदि को देखने के बाद , गुमला में अवस्थित Trible museum को दिखने के लिए कुँडुख़ स्कूल मंगलो के बच्चे पहुंचे थे। स्कूल का नाम सुनते ही गाइडर ने कहा - नीम कुँडुख़ कत्था अख़दर ?, ख़द्दर बाचर हाँ ! तो नीम एंदेरगे कुँडुख़ नू मल कच्छनखरदर?खद्दर बाचर कोड़े कत्थन बअआ लगदय। अक्कुन ती कुँडुख़ नुम कच्छनखर'ओम आदि ख़ोख़ा म्यूजियम धौगौंड़िस कुँडुख़ ती बुझा बआ हेलरस। ख़द्दर हूं म्यूजियम नू रअना गाटी कुँडुख़ घी व्यवहार नंज्जर।
2. प्रधानमंत्री के द्वारा :- विलुप्त होती कुँडुख भाषा ,उराँव समुदाय द्वारा अपने बच्चों को अपनी ही भाषा में शिक्षा देने का फैसला ,
कुँडुख भाषा की अपनी लिपि तोलोंग सिकि, कुँडुख भाषा से सीखने की गति एवं कार्तिक उराँव आदिवासी कुंडुख स्कूल मंगलों को शुरू करने वाले अरविंद उरांव के बारे में 31/12/2023 को अपनी मन की बात में जिक्र की गई थी।
एक वर्ष पूर्ण होने पर 31/12/2024 को कुँडुख भाषा को पुनः जीवित करने के लिए कुँड़ख़ बोलो अभियान की शुरुआत की गई । अभियान में विशेष रूप से स्कूल के बच्चे और अभिभावकों ने भाग लिया एवं कुँडुख़ भाषा को व्यवहार में लाते हुए
कुँडुख भाषा को जीवित करने का संकल्प भी लिया ।
3. 9 जनवरी 2024 को आस्ट्रेलिया रेडियो चैनल द्वारा हमारे कुँडुख भाषा स्कूल के बारे में समाचार प्रसारित की गई थी। समाचार पुनः सुनने के लिए लिंक https://www.sbs.com.au/language/hindi विजिट कर सकते हैं। प्रसारण तिथि 9 जनवरी को विज्ञान केन्द्र, तारा मंडल, बिरसा मुण्डा जैविक उद्यान रांची का भ्रमण कराया गया। लौटने के क्रम मे भोजन के लिए निंगहय असरा होटल पहुंचे । कुँडुख स्कूल का नाम सुनते ही होटल संचालक की मां ने कहा - अना बबु कुँडुख़ स्कूल ती बरचाका रअदर अरा खट्टा भाखा कच्छनखरदर,कुँडुख़ बलदर एंदेर?
जोक्क खद्दर बाचर अख़दम यो।
आद दाव कुना बुझाबअनुम ख़द्दारिन कुँडुख नुम कत्था नना गे सलहा चिच्चा ।
इबड़ा कत्थन मेनर की चांड़ेम कुँडुख स्कूल मंगलोन बसा स्कूल नन्ना घी दरकार मना लगी। पुना सत्र ती ओरे नन्ना गहि तिहा मना लगी।
निष्कर्ष:-
आवासीय स्कूल से कुँडुख भाषा का व्यवहार ग्रोथ हो सकेगा। साथ में विभिन्न गतिविधि कराने के लिए पूर्ण समय मिलेगा।
रिपोर्टिंग
अरविंद उरांव
कार्तिक उरांव आदिवासी कुँडुख स्कूल मंगलो।