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आदिवासी परंपरानुगत अनुमान: औसत से कम वर्षा होने का मौसम पूर्वानुमान 2022

दिनांक 21.06.2022 दिन मंगलवार को उरागन डिप्पा, ग्राम : सैन्दा, थाना : सिसई, जिला : गुमला (झारखण्ड) में पारम्परिक ग्रामीण मौसम पूर्वानुमान कर्ता द्वारा वर्ष 2022 का मौसम पूर्वानुमान किया गया। पारम्परिक मौसम पूर्वानुमान कर्ता श्री गजेन्द्र उराँव, 65 वर्ष, ग्राम : सैन्दा, थाना : सिसई (गुमला) तथा श्री बुधराम उराँव, 66 वर्ष, ग्राम : सियांग, थाना : सिसई (गुमला) द्वारा अपने पारम्परिक ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर विगत 10 वर्षों से मौसम पूर्वानुमान किया जा रहा है, जो प्रशंसनीय एवं अतुलनीय है। 

कुंड़ुख टाइम्‍स डॉट कॉम का 2रा प्रिंट एडिशन आ गया..

कुंड़ुख टाइम्‍स डॉट काम के प्रिंट एडिशन का दूसरा अंक प्रस्‍तुत है। इस अंक में हमने कई महत्‍वपूर्ण विषयों को समेटा है। कुंड़ुख भाषा की लिपि तोलोंग सिकि के आयामों पर व्‍यापक चर्चा शामिल है। तोलोंग सिकि की नींव का अपना एक इतिहास है। जी हां, आपने ठीक याद किया, झारखंड अलग राज्‍य आंदोलन। इस प्रसंग में भी हम जानेंगे कुछ अन्‍य पहलू। इसके अलावा इस अंक में चर्चा होगी , धुमकुडि़या, राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020, टीसीएस द्वारा चलाये जा रहे भाषा शिक्षण केंद्र की प्रासंगिकता, आदि। इस प्रिंट एडिशन को पीडीएफ फॉर्मेट में यहीं पढ़ा जा सकता है। आप चाहें तो इसे डाउनलोड कर के भी पढ़ सकते हैं। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व मातृभाषा कुँड़ुख़तोलोंग सिकि एवं धुमकुड़िया पर कार्यशाला सम्पन्न

दिनांक 12 मार्च से 14 मार्च 2020 तक ऐतिहासिक पड़हा जतरा खुटा शक्तिस्थल, मुड़मा, राँची में अवस्थित सांस्कृतिक भवन में तीन दिवसीय कार्यशाला मातृभाषा शिक्षा सह कुँड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि तथा धुमकुड़िया विषय पर सम्पन्न हुआ। इस कार्यशाला में झारखण्ड, प.

हमारी बोली हमारी पहचान : मातृभाषा दिवस पर विशेष

2010 में आई यूनेस्को की ‘इंटरेक्टिव एटलस’ की रिपोर्ट बताती है कि अपनी भाषाओं को भूलने में भारत अव्वल नंबर पर है। भाषा विशेषज्ञों का मानना है कि आदिवासी भाषाएँ ज्ञान के भण्डार को अपने में समेटे हुए हैं जिसका इतिहास करीबन चार हजार साल पुराना है। यूनेस्को की महानिदेशक इरीना वोकोवा कहती  है कि ‘‘मातृभाषाएँ जिनमें कोई भी अपना पहला शब्द बोलता है, वही उनके इतिहास एवं संस्कृति की मूल बुनियाद होती है…और यह बात सिद्ध भी हो चुकी है। स्कूल के शुरुआती दिनों में वही बच्चे बेहतर ढंग से सीख पाते हैं जिन्हें उनकी मातृभाषाओं में पढ़ाया जाता है” संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आदिवासी भाषा

परम्‍परागत धुमकुड़ि‍या प्रवेश दिवस (कोरना उल्‍ला) सम्‍पन्‍न

दिनांक 16 फरवरी 2022 दिन बुधवार को परम्‍परगत उरा¡व समाज द्वारा पौराणिक पारम्‍परिक पाठशाला धुमकुड़ि‍या के रूप में माघ पुर्णिमा 2022 को गुमला जिला के सिसई थाना के सैन्‍दा ग्राम में रूढ़ी पम्‍परा पूजा विधि के साथ धुमकुड़ि‍या प्रवेश दिवस मनाया गया। यह दिवस पर, ग्राम सैन्‍दा के बच्‍चे एवं बुजूर्ग उपस्थित थे। ज्ञात हो कि पूर्व में उरा¡व समाज के बीच धुमकुड़ि‍या की व्‍यवस्‍था थी जो आधुनिक शिक्षा के प्रसार के बाद विलुप्‍ती के कगार पर है।

कुंड़ुख भाषा तोलोंग सिकि सप्‍ताह समारोह, छारदा, सिसई (गुमला) सम्‍पन्‍न

दिनांक 12 फरवरी से 20 फरवरी तक चलने वाला कुंड़ुख भाषा तोलोंग सिकि दिवस सप्‍ताह का पहला दिन दिनांक 12 फरवरी 2022 दिन शनिवार को गुमला जिला के सिसई थाना क्षेत्र के अन्‍तर्गत कार्तिक उरांव आदिवासी कुंडुख़ विद्यालय, छारदा में सम्‍पन्‍न हुआ। यह भाषा दिवस, कुंड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि दिवस सप्‍ताह आयोजन समिति, सिसई प्रखण्‍ड द्वारा आयोजित किया गया था। ज्ञात हो कि फरवरी 2016 से कुंड़ुख भाषा की तोलोंग सिकि (लिपि) से झारखण्‍ड के सभी स्‍कूलों में परीक्षा लिखने की अनुमति मिलने के पश्‍चात समाज के लोगों द्वारा कुंड़ख भाषा तोलोंग सिकि दिवस सप्‍ताह 12 फरवरी से 20 फरवरी तक मनाने का निर्णय लिया गया है।

कुंड़ुख भाषा तोलोंग सिकि सप्‍ताह समारोह, सीताराम डेरा, जमशेदपुर में सम्‍पन्‍न

दिनांक 12 फरवरी से 20 फरवरी तक चलने वाला कुंड़ुख भाषा तोलोंग सिकि दिवस सप्‍ताह का दूसरा दिन दिनांक 13 फरवरी 2022 दिन रविवार को पश्चिम सिंभूम जिला के टाटा लौह नगरी में आदिवासी उरांव समाज समिति, पुराना सीताराम डेरा में सम्‍पन्‍न हुआ। यह भाषा दिवस, आदिवासी उरांव समाज समिति, पुराना सीताराम, जमशेदपुर द्वारा आयोजित किया गया। ज्ञात हो कि 12 फरवरी 2016 से कुंड़ुख भाषा की तोलोंग सिकि (लिपि) से झारखण्‍ड के सभी स्‍कूलों में कुंड़ुख़ भाषा विषय की परीक्षा लिखने की अनुमति मिलने के पश्‍चात, समाज के लोगों द्वारा कुंड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि दिवस सप्‍ताह 12 फरवरी से 20 फरवरी तक मनाने का निर्णय लिया गया है।

कुंड़ुख भाषा तोलोंग सिकि 'लिपि' शिक्षण केन्‍द्र, चक्रधरपुर का निरीक्षण

दिनांक 03-02-2022 को दिन वृहस्‍पतिवार को टाटा स्‍टील फाउन्‍डेशन, जमशेदपुर द्वारा संचालित कुंड़ुख भाषा तोलोंग सिकि 'लिपि' शिक्षण केन्‍द्र, चक्रधरपुर का निरिक्षण किया गया। यह कुंड़ुख भाषा लिपि शिक्षण केन्‍द्र, टाटा स्‍टील फाउन्‍डेशन, जमशेदपुर की ओर से उरांव सरना समिति, चक्रधरपुर के देखरेख में चलाया जाता है। इस अवसर पर टी सी एफ के पदाधिकारी एजूकेटिभ ऑफिसर श्री शिवशंकर कांडेयोंग, सहकर्मी श्री बिरेन तिउ, उरांव सरना समिति, चक्रधरपुर के पदाधिकारी, शिक्षक शिक्षिकाएं एवं विशिष्‍ट व्‍यक्ति डॉ नारायण उरांव उपस्थित थे।

हाई स्‍कूलों में तीन भाषा शिक्षक बहाली नीति का विरोध आरंभ

दिनांक 23-01-2022 को स्थानीय अखबार में छपी खबर है कि झारखण्‍ड सरकार द्वारा उत्क्रमित उच्च विद्यालय में 2079 शिक्षकों की बहाली की जा रही है। इन विद्यालयों में भाषा विषय के कुल 567 पद हैं। इनमें से प्रत्येक विद्यालय में भाषा विषय के 03 शिक्षक होंगे। पूर्व में प्रत्येक उच्च विद्यालय में भाषा विषय के 04 शिक्षक होते थे जिसमें हिन्दी अंगरेजी के साथ, आदिवासी भाषा या संस्कृत/उर्दू का चुनाव किया जाता था। पर अब सरकारी विद्यालय में भाषा विषय के 03 शिक्षक होने की बात से पूरा आदिवासी समाज सशंकित है। झारखण्‍ड में हिन्दी, अंगरेजी पहली कक्षा से आवश्यक विषय के रूप में है। ऐसी स्थिति में 3रा भाषा क्या है इसक

क्‍या हेमन्‍त सरकार आदिवासी भाषाओं की विरोधी है?

क्‍या झारखंड की हेमन्‍त सरकार आदिवासियों की भाषाओं के प्रति बिल्‍कुल लापरवाह है? यह धारणा एक स्‍थानीय अबखबार में छपी खबर से उभर रही है। दिनांक 23.01.2022 दिन रविवार को स्थानीय अखबार में छपी खबर के हवाले से कहा गया है कि झारखण्ड सरकार उत्क्रमित उच्च विद्यालय में 2079 शिक्षकों की बहाली करने जा रही है। 
इन विद्यालयों में भाषा विषय के कुल 567 पद हैं। इनमें से प्रत्येक विद्याालय में भाषा विषय के 3 शिक्षक होंगे। पूर्व में प्रत्येक उच्च विद्यालय में भाषा विषय के 4 शिक्षक होते थे जिसमें