KurukhTimes.com

Video

Video from Youtube Channel

'एजेरना बेड़ा' (सिंहभूम) में तोलोंग सिकि प्रशिक्षण कार्यक्रम का संगीतमय कार्यक्रम

यह विडियो दिनांक 19 सितम्बर 2023 दिन मंगलवार को सूट किया गया है। यह टाटा स्टील फाउंडेशन जमशेदपुर के सहयोग से संचालित तथा उरांव सरना समिति, चक्रधरपुर, पश्चिम सिंहभूम के माध्यम से 'एजेरना बेड़ा' कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 16 सितम्बर से 19 सितम्बर 2023 तक सम्पन्न कुंड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन कार्यक्रम का है। यह प्रशिक्षण कार्यशाला ट्राईबल कल्चर सेन्टर, सोनाली, जमशेदपुर में सम्पन्न हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में 25 कुंड़ुख़ भाषा एवं तोलोंग सिकि शिक्षण केन्द्र के शिक्षक एवं 05 संयोजक तथा परम्परागत उरांव वाद्य यंत्र प्रशिक्षण केन्द्र के 03 शिक्षक उपस्थित थे। कार्यशाला

सिसई/गुमला/झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त 2023) आयोजन

यह विडियो दिनांक 9 अगस्त 2023 को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कार्तिक उरांव आदिवासी कुंड़ुख़ विद्यालय मंगलो सिसई गुमला शूट किया गया विडियो है । इस विद्यालय में कुंड़ुख़ भाषा की पढ़ाई कुंड़ुख़ की अपनी लिपि तोलोंग सिकि में होती है। इस विद्यालय में पारम्परिक गीत, मौसमी राग में सिखलाया जाता है। यह विडियो रोवा अर्थात रोपनी राग में गाया जा रहा है। 10 दिनों के बाद ही करमा राग तथा नृत्य का समय पहूंचेगा। प्रस्तुत है रोवा राग में यह पारम्परिक उरांव लोकगीत एवं नृत्य।

अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव 2023 सम्पन्न

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव 2023 का आयोजन राजा भोज की नगरी भोपाल में  सम्‍पन्‍न हुआ। इस उत्‍सव  का उद्घाटन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अवस्थित रविन्द्र भवन में दिनांक 03 अगस्त 2023 को  महामहीम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू द्वारा किया गया। यह उत्सव 03 अगस्त से 06 अगस्त 2023 तक चला और दिनांक 06 अगस्त 2023 कों देश-विदेश से आये लेखक एवं कवि गणों से खचाखच भरे रविन्द्र भवन में समापन हुआ।

मणिपुर हिंसा : आदिवासियों को खत्‍म करने की साजिश! | 'सरना धर्मकोड नहीं, तो 2024 मोदी को भारी पड़ेगा'

तभी शां‍त होगा मणिपुर - पूरे देश में जनजाति सूची में नई जातियों के शामिल करने पर 30 वर्षों के लिये रोक लगायी जाए और इसकी घोषणा तुरंत की जाए : सालखन मुर्मू। पूर्व सांसद व सेंगेल नेता सालखन मुर्मू से बातचीत। जेएमएम ने आदिवासियों को बेचा है: सालखन। सालखन की घोषणा: 2024 आम चुनाव से पहले केंद्र ने सरना धर्मकोड की घोषणा नहीं की तो..। इस वीडियो पर आपकी सकारात्‍मक टिप्‍पणी हमारे लिए प्रेरक होंगी।.. देखें वीडियो.. 

उरांव समाज में सम्‍बन्‍ध विच्‍छेद की प्रक्रिया : एक लोकगीत में

यह विडियो 17 मई 2023  को शूट किया गया है। इस विडियो में गायिका श्री मती सुशीला टोप्पो, पति श्री रन्थु उरांव द्वारा अपने गीत में परम्परागत उरांव समाज में प्रचलित वैयक्तिक प्रेम के चलते अपने वैवाहिक संबंध तोड़ने के लिए एक बहन अपने भाई से निवेदन करती है। भाई कहता है - जाओ बहन जाओ, दामाद बाबू ले जाने के लिए आये हैं। इसपर बहन कहती है - नहीं भैया नहीं, मैं ससुराल नहीं जाउंगी,  मेरा हमउम्र साथी, मुझसे अत्यधिक प्रेम करता है। इसलिए हे भैया - आप मेरा डली ढिबा वापस कर दीजिए। मैं ससुराल नहीं जाउंगी। परम्परागत उरांव आदिवासी समाज में विवाह विच्छेद के लिए डली ढिबा (विवाह रस्म के शगून का प्रतीक धनराशि जिसे

पिन्‍की लिन्‍डा vs बागा तिर्की : आखिर क्‍यों, छुटा-छुटी (तलाक) से पहले हो गया केस डिसमिस?..

यह वीडियो हमारे पिछले वीडियो https://youtu.be/gxus_PSq_yg का हिस्‍सा (Excerpt) है, जिसका शीर्षक था- 'कोई प्रथा कैसे बनती है कस्‍टमरी लॉ?.. | How does a custom become a Customary Law?' वीडियो में मुख्‍य वक्‍ता हैं कानून के प्राध्‍यापक श्री रामचन्‍द्र उरांव। सवाल कर रहे हैं, पत्रकार किसलय। वह पूरा वीडियो यहां देख - सुन सकते हैं। https://youtu.be/gxus_PSq_yg

कोई प्रथा कैसे बनती है कस्‍टमरी लॉ?

भारत में आदिवासियों के कई मामलों में अलग कानून चलता है, जिसे कस्‍टमरी लॉ या प्रथागत कानून कहते हैं। इस प्रसंग में हम पिछले अंक में चर्चा कर चुके हैं। आप उस वीडियो को यहां ऊपर, दाहिनी तरफ आ रहे लिंक पर देख और सुन सकते हैं। उस वीडियो में हमने कस्‍टमरी लॉ के अर्थ, उसके अलग-अलग तत्‍वों पर चर्चा की थी। आदिवासियों की रूढि़यों पर आधारित उनकी सामाजिक संरचना पर भी हम बात कर चुके हैं। आज हम कस्‍टमरी लॉ के कुछ अन्‍य पहलुओं पर बातें करेंगे। जैसे, कोई प्रथा या रूढि़ कानून बनने लायक है, या नहीं, यह तय कैसे होगा? तय करने की प्रक्रिया क्‍या है? भारतीय न्‍यायालयों में कस्‍टमरी लॉ को कितना महत्‍व मिलता है?

आदिवासियों का कस्‍टमरी लॉ अलग क्‍यों है?

आपको पता है, भारत में दो तरह के कानून चलते हैं: पहला 'जेनरल लॉ' और दूसरा 'कस्‍टमरी लॉ'। जेनरल लॉ यानी सामान्‍य कानून पूरे देश में लागू होता है, जबकि 'कस्‍टमरी लॉ' केवल आदिवासियों के प्रसंग में चलता है। आये दिन इसपर कई विवाद भी हुए हैं। मामला उच्‍च न्‍यायालयों तक पहुंचता है। और ऐन वक्‍त सामने आता है आदिवासियों का कस्‍टमरी लॉ। - कहा जाता है, आदिवासियों पर दहेज कानून लागू नहीं होता?.. क्‍यों और कैसे? - अभी पिछले दिनों आदिवासी महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्‍सेदारी को लेकर खूब विवाद हुआ। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा.. और उभर कर सामने आया कस्‍टमरी लॉ..

महादेव टोप्‍पो का आदिवासी समाज द्वारा जोरदार अभिनंदन

झारखंड की माटी के साहित्‍यकार: कवि, लेखक, अभिनेता व पूर्व बैंककर्मी महादेव टोप्पो को साहित्य अकादमी (नई दिल्ली) का सदस्य के रूप में मनोनयन किये पर आदिवासी समाज की ओर से जोरदार अभिनंदन किया गया। 05 मार्च 2023 को करमटोली (रांची) स्थित आदिवासी कॉलेज छात्रावास के पुस्तकालय भवन भवन में दर्जनों संस्‍थाओं के प्रतिनिधियों एवं स्‍थानीय युवक-युवतियों ने महादेव टोप्‍पो और उनकी धर्मपत्‍नी को पुष्‍पगुच्‍छ, झारखंडी परिधानों एवं संस्‍कारों के साथ सम्‍मानित किया। इस कार्यक्रम के संयोजक मंडल में शामिल थे, डॉ. नारायण उराँव, सैंदा, डॉ. नारायण भगत, नागराज उराँव,  डॉ.

सैन्‍दा गांव में धुमकुडि़या जतरा का आयोजन

झारखंड के गुमला जिला के सिसई थाना स्थित सैन्‍दा गांव में धुमकुडि़या जतरा का आयोजन दिनांक 16 फरवरी 2022 को किया गया था। पूर्व में धमकुड़िया एक सामाजिक तथा सांस्कृतिक विरासत का केंद्र रहा था। आधुनिक स्कूल की स्थापना के बाद यह संस्था विलुप्त होने की राह पर है। अब, जब समाज सेवियों एवं शिक्षाविदों   की दृष्टि इस ओर पड़ी तो कुछ नवयुवक नवयुवती इसे आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो गए हैं। इसी क्रम में सैन्दा ग्राम में यह धुमकुड़िया जतरा समारोह मनाया गया। इस धुमकुड़िया जतरा समारोह में इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहे लड़के भी शामिल हुए। साथ ही नौकरी पेशा वाले ग्राम वासी भी अपने बच्चों को साथ लेकर आये। इ