लरका आंदोलन का अमर शहीद वीर बुधू भगत और अंगरेजी बंदूक
भारत की आजादी की लड़ाई में सन् 1857 या उसके बाद, देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों में कुछ के नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। किन्तु 1857 ई.
दस्तावेज / Records / Plans / Survey
भारत की आजादी की लड़ाई में सन् 1857 या उसके बाद, देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों में कुछ के नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। किन्तु 1857 ई.
बीर बुधू भगत, बचपन से ही गरीबी, भ्ाुखमरी के साथ जमींदार, साहुकार, महाजन, बनिया अर्थात् गैर आदिवासियों की बर्बरता को देखे। वे देखे कि किस प्रकार तैयार फसल को जमींदार उठा ले जाते थे, और गरीब गाँव वालों के घर कर्इ-कर्इ दिनों तक चुल्हा नहीं जल पाता, गाँव के बच्चे, बुढ़े सभी भ्ाूख से बिलखते रहते। माँ बहनों का खुन सूखता था, लेकिन इन सभी मार्मिक दृश्यों से जमींदारों का मन तनिक भी नहीं पसीजता था। वे किसानों से कर (मालगुजारी) के रूप में बड़ी रकम वसूल कर ले जाते थे। उन लोगों का विरोध करने का हिम्मत कोर्इ नहीं कर पा रहा था। उलटे सूदखोरों, महाजनों एवं जमींदारों को ब्रिटिश हुकूमत का साथ मिल रहा था। ब्रिटि
चउगिरदा हरियर टोड़ंग परता रहचा। नाखो कोंड़ा परता दिम हरियर एथेरआ लगिया। मन्ने मास ती झबरारका अकय दव शोभ’आ लगिया। सलय-सलय एका नगद ताका तागर’आ लगिया। झरना हूँ हहा-हीही बाहरनुम डण्डी पाड़ा लगिया। ओ:ड़ा एका नगद चेरेबेरे मना लगिया। अकय सोहान परता मझी नुम ओन्टा पद्दा रहचा। आ पद्दा ही नामे चिंगरी पुना टोला रहचा। आ पद्दा नुम जतरा भगतस गहि कुन्दरना मंज्जकी रहचा। आस की कुन्दरना सितम्बर 1888 र्इस्वी चान नु मंज्जकी रहचा। र्इद गुमला जिला ता बिसुनपुर बोलोक नू मनी। जतरा भगतस गहि तम्बस ही ना:मे कोडल उराँव अरा तंग्गियो ही नामे लिबरी रहचा। तंग आ:ली गहि नामे बिरसो रहचा। जतरा भगतस गहि ख़द्दर बुधु, बंधु, सुधु अरा दे
जैसा कि हम सभी जानते हैं - भारतीय संविधान के निर्माण से पूर्व, भारत में बहुत से राष्ट्र, प्रदेश एवं कबिलार्इ समूह स्वतंत्र रूप से गुजर-बसर कर रहे थे। देश की आजादी के पश्चात् नये जीवन की तरह भारतीय संविधान का निर्माण हुआ और वे सभी पुराने दल एक झण्डे के नीचे आ गये। इस नव निर्माण के क्रम में लोगों के बीच अपने समाज एवं सम्प्रदाय के अनुसार हिन्दु पर्सनल लॉ, मुस्लिम पर्सनल लॉ, र्इसार्इ विवाह कानून आदि का गठन हुआ और वे उसी के अनुसार चल रहे हैं। भारतीय कबिलार्इ समूह क्षेत्र के लोगों के लिए भी 5 वीं एवं 6 वीं अनुसूचित क्षेत्र के नाम से विशेष प्रशासनिक क्षेत्र के रूप में संविधान में स्थान दिया गया,