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डॉ नारायण उरावं को सम्‍मानित किया झारखंड सरकार ने

झारखंडी साहित्‍य एवं संस्‍कृति की उपादेयता तथा राष्‍ट्र के विकास में योगदान विषयक दो दिवसीय संगोष्‍ठी सह सांस्‍कृतिक कार्यक्रम के प्रथम दिवस दिनांक 14 नवंबर 2021 को डॉ नारायण उरावं का संबोधन। इस अवसर पर विभाग द्वारा डॉ उरावं को कुरूख भाषा की लिपि तोलोंग सिकि विकसित करने के लिये खास तौर पर सम्‍मानित भी किया गया। 

झारखंड राज्‍य संग्रहालय (पर्यटन कला संस्‍कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार द्वारा 14 नवंबर 2021 को आयोजित कार्यक्रम की झलकी.. 

क्‍यों विलुप्‍त हो रही आदिवासियों की भाषा-संस्‍कृति?

क्‍यों विलुप्‍त हो रही आदिवासियों की भाषा-संस्‍कृति?

अधिवक्‍ता निकोलस बारला और पत्रकार किसलय की बातचीत..

करम राजा (करम देव) की श्रद्धापूर्ण विदाई

यह विडियो ग्राम सैन्दा, थाना सिसई, जिला गुमला के करमा त्योहार का दूसरा दिवस, दिनांक 18-09-2021 दिन शनिवार का है। ग्राम सैन्दा में करमा त्योहार के पहले दिन‚ देर शाम में युवक-युवतियाँ उपवास कर श्रद्धा पूर्वक गाँव के करम पेड़ की तीन डालियां काट कर लाते हैं। करम डाली लाने हेतु उपवास किये हुए लड़के विधि पूर्वक काटकर कुछ दूर तक लाते हैं, फिर बीच रास्ते में ही लड़कों द्वारा उपवास की हुई लड़कियों को सौंपा जाता है। फिर नाचते गाते हुए करम डाली को पहान के घर पहुंचाया जाता है। इन डालियों को पहान द्वारा श्रद्धा पूवर्क अपने घर के छप्पर पर रखा जाता है। फिर देर रात मुर्गा के प्रथम बांग के बाद पहान द्वारा करम क

झारखंड के सैन्‍दा गांव में 'करमा बासी' (करमा) त्‍योहार संपन्‍न

यह विडियो ग्राम सैन्दार‚ थाना सिसई‚ जिला गुमला के ‘‘करमा बासी'' अर्थात करमा त्योहार का दूसरा दिवस‚ दिनांक 18-09-2021 दिन शनिवार का है। ग्राम सैन्दा में करमा त्योहार के पहले दिन‚ देर शाम में युवक-युवतियाँ उपवास कर श्रद्धा पूर्वक गाँव का करम पेड़ का तीन डाली काट कर लाते हैं। करम डाली लाने हेतु उपवास किये हुए लड़के विधि पूर्वक काटकर कुछ दूर तक लाते हैं, फिर बीच रास्ते में ही लड़कों द्वारा उपवास की हुई लड़कियों को सौंपा जाता है। फिर नाचते गाते हुए करम डाली को पहान के घर पहुंचाया जाता है। इन डालियों को पहान श्रद्धा पूवर्क अपने घर के छप्पर में रखता है। फिर देर रात मुर्गा के प्रथम बांग के बाद पहान द्व

कुँड़ुख़ गीत करम राग

प्रस्तुत कुँड़ुख़ गीत करम राग में ग्राम - जगदा, पोस्ट - झिरपाणी, राउरकेला-42 जिला – सुंदरगढ़, ओडिशा निवासी कुमारी सुमरी तिरकी द्वारा गाया गया है। 
मांदर बजाने वाले ग्राम लाठिकाटा जिला - सुंदरगढ़, ओडि‍शा के श्री दशरथ उरांव हैं तथा झुमका बजाने वाले ग्राम - जगदा, पोस्ट – झिरपाणी के श्री बांदे एक्का  हैं। यह गीत झारखण्डर के गुमला–लोहरदगा क्षेत्र के उरांव लोगों द्वारा गाये जाने वाले गीत के जैसा ही है, परन्तुु राग एवं मांदर का ताल में थोड़ा–थोड़ा फर्क है।   
प्रस्तुतत है कुँड़ुख़ गीत करम राग में –

कुँड़ुख़ गीत आसारी राग

प्रस्तुत कुँड़ुख़ गीत आसारी राग में ग्राम - जगदा, पोस्ट - झिरपाणी, राउरकेला-42 जिला – सुंदरगढ़, ओडिशा निवासी कुमारी सुमरी तिरकी द्वारा गाया गया है। मांदर बजाने वाले ग्राम लाठिकाटा जिला - सुंदरगढ़, ओडि‍शा के दशरथ उरांव हैं तथा झुमका बजाने वाले ग्राम - जगदा, पोस्ट – झिरपाणी के श्री बांदे एक्का हैं। यह गीत झारखण्डर के गुमला–लोहरदगा क्षेत्र के उरांव लोगों द्वारा गाये जाने वाले गीत के जैसा ही है, परन्तुु राग एवं मांदर का ताल में थोड़ा–थोड़ा फर्क है। प्रस्तुतत है कुँड़ुख़ गीत करम राग में – रिपोर्टर – अरविन्द उरांव, ग्राम – आताकोरा थाना – भरनो, जिला – गुमला, झारखण्ड । वि‍डियो रिकॉडिंग – श्री बिरवा उरांव

आदिवासी परंपरा में मौसम पूर्वानुमान

विगत 7 वर्षों से ग्रामीण लोकज्ञान के अनुसार मौसम पूर्वानुमान कर रहे थाना - सिसई, जिला - गुमला (झारखण्ड ) के सैन्दा् एवं सियांग गाँव के निवासी गजेन्द्रा उराँव (65 वर्ष, फोटो में बायें) तथा श्री बुधराम उराँव (70 वर्ष, फोटो में दायें) द्वारा घर में रखा हुआ पिछले वर्ष का धान (बीज वाला धान) को देखकर मौसम पूर्वानुमान किया गया। मौसम पूर्वानुमान-कर्ता-द्वय ने कहा कि – इस वर्ष 2021 में अपने क्षेत्र में मझील बरखा है। बाद में नेग बरखा है। ग्रामीण लोकज्ञान मौसम पूर्वानुमान के अनुसार हरियनी पूजा से करम पूजा के बीच का समय को मझील बरखा का समय माना गया है तथा करम पूजा से सोहराई पूजा तक के समय को पछील बरखा

गलती सुधारने का वक्‍त आ गया है: डॉ निर्मल मिंज (संदर्भ: झारखंड)

यह वीडियो स्‍वर्गीय डॉ निर्मल मिंज को श्रद्धांजलि है। डॉ मिंज का यह वीडियो 19 मई 2017 को रिकॉर्ड किया गया था। साक्षात्‍कारकर्ता हैं पत्रकार किसलय।

डॉ निर्मल मिंज नहीं रहे!.. एवं अन्‍य खबर..

अलग झारखंड राज्य आंदोलन को बौद्धिक मोर्चे पर दिशा देनेवाले डॉ निर्मल मिंज नहीं रहे।  अलग राज्‍य आंदोलन में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है।  डॉ मिंज गोस्‍सनर चर्च के बिशप रहे हैं। डॉ निर्मल मिंज को साहित्य अकादमी का भाषा सम्मान से नवाजा जा चुका है। कुड़ुख भाषा में लेखन और उसके लिए व्यापक काम के लिए डॉ निर्मल मिंज को यह सम्मान दिया गया है.